'वेबदुनिया' से बातचीत में भरत प्रजापति कहते हैं कि सामान्य समय में हर साल 15 से 18 फीट की देवीजी की प्रतिमा बनती थी लेकिन इस बार कोरोना के चलते वह लोग पहले से ही छोटी मूर्तियों (8 से 10 फीट) का निर्माण कर रहे है लेकिन छह फीट की मूर्तियों की गाइडलाइन बहुत कम है। वह कहते हैं कि मां काली की प्रतिमा तो 10 फीट से कम बनाना व्यावहारिक तौर पर संभव ही नहीं है।
वहीं संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष पंडित चंद्रशेखर तिवारी गृहविभाग की गाइडलाइन का विरोध करते हुए कहते हैं कि एक ओर चुनावी रैलियों और सरकारी कार्यक्रमों के लिए बड़े पंडाल बनाए जा रहे है और उसमें हजारों की भीड़ आ रही है वहीं दूसरी ओर दुर्गा उत्सव को लेकर पंडाल का साइज 10×10 फीट रखने की गाइडलाइन बनाई जा रही है। वह सवाल उठाते हुए कहते हैं कि इतने छोटे पंडाल में मूर्ति स्थापना को लेकर कई व्यावहारिक समस्या जैसे मंच बनाने, घट स्थापना और आरती में कई समस्या आएगी।
दुर्गा उत्सव को लेकर गाइडलाइन- राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से 17 अक्टूबर से शुरु हो रहे दुर्गोत्सव को लेकर जो गाइडलाइन जारी की है उसके में दुर्गा पंडालों में स्थापित की जाने वाली प्रतिमा की अधिकतम ऊँचाई 6 फीट और पंडाल का साइज 10×10 फीट रखने के निर्देश दिए है। इसके साथ गरबा और चल समारोह पर प्रतिबंध लगाने के साथ आयोजन में अधिकतम 100 व्यक्ति सम्मिलित होने की अनुमति गाइडलाइन में जारी की गई है।