बाघ को ढूंढ़कर बचाने के लिए जारी अभियान की समीक्षा के लिए राज्य के वनमंत्री विजय शाह ने इंदौर में मंगलवार को अपने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। शाह ने बैठक के बाद कहा कि महू वन क्षेत्र में बाघ के हमले में बुजुर्ग की मौत बेहद दु:खद है। ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए वन विभाग के 4 दल इस क्षेत्र के करीब 25 किलोमीटर के हिस्से में बाघ की रात-दिन तलाश कर रहे हैं। जंगल में कैमरे और पिंजरे भी लगाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बाघ का पता चलने पर इस जंगली जानवर को बेहोश कर इसे किसी राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि बाघ ने महू वन क्षेत्र में रविवार सुबह मलेंडी गांव में रहने वाले सुंदरलाल (60) को तब अपना निवाला बना लिया था, जब वे मवेशी चराने गए थे।
उन्होंने बताया कि वन विभाग को जंगल में बुजुर्ग का शव मिला, जो आधा खाया हुआ था और शव के पास बाघ के पगचिह्न मिले थे। बाघ के हमले में बुजुर्ग की मौत के बाद ग्रामीणों में गुस्से और दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के साथ ही स्थानीय मीडिया का एक हिस्सा बाघ को आदमखोर बता रहा है।
बहरहाल, प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने कहा कि किसी इकलौती घटना के बूते किसी भी जंगली जानवर को आदमखोर घोषित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जंगल में बुजुर्ग का बाघ से नजदीक से आमना-सामना हो गया होगा और इस व्यक्ति को बचाव का मौका नहीं मिला होगा।
चौहान ने बताया कि बाघ को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं और जरूरत पड़ने पर बाघ अभयारण्यों के विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी। गौरतलब है कि महू कस्बे के सैन्य छावनी क्षेत्र में 7 मई की रात बाघ घूमता नजर आया था और इसका सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद इलाके में बाघ की हलचल की तसदीक हुई थी।(भाषा)