अतिरिक्त जिला न्यायाधीश काशीनाथ सिंह ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में मानहानि से जुड़े आपराधिक मामले में केके मिश्रा को दोषी पाते हुए यह सजा सुनाई। मिश्रा को भारतीय दंड विधान की धारा 500 के तहत दो वर्ष का कारावास और 25 हजार रुपए अर्थदंड दिया गया है। अर्थदंड नहीं देने पर अभियुक्त को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने जून 2014 में प्रदेश कांग्रेस में एक पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री चौहान और उनके परिजनों पर आरोप लगाए थे। आरोप व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के माध्यम से परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति के संबंध में थे, जिन्हें अनेक मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित-प्रसारित किया था।
इसके बाद तत्कालीन लोक अभियोजक आनंद तिवारी ने केके मिश्रा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा यहां की अदालत में दाखिल किया था। तिवारी ने यह तर्क दिया कि चौहान राज्य के मुखिया हैं और उन पर लगाए गए आरोपों से मानहानि हुई है। अदालत के समक्ष पेश किए गए वाद में कहा गया है कि आधारहीन आरोप लगाकर आरोपी ने चौहान की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है। इस मामले में मुख्यमंत्री चौहान स्वयं भी कई बार अदालत पहुंचे थे।