उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए शिवराज ने लोगों से पूछा, हमसे क्या भूल हुई जो ये सज़ा हमको मिली। इस पर लोगों ने कहा कि गलती हो गई। इस अवसर पर उन्होंने अटलजी की कविता 'क्या हार में, क्या जीत में, किंचिंत नहीं भयभीत मैं' के माध्यम से अपनी वेदना प्रकट की।
इस पर शिवराज बोले, मुझे कोई फर्क नही पड़ा। उन्होंने कहा कि जीते भी वो भी नहीं है, कब लुढ़के यह पता नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी लगड़ी सरकार तो हम भी बना लेते, लेकिन हमने तय किया पूरी सरकार बनाएंगे।