भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा में एक बार फिर परिवारवाद को लेकर घमासान छिड़ गया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर हेमंत खंडेलवाल की ताजपोशी के बाद इन दिनों भाजपा की जिला कार्यकारिणी का गठन हो रहा है। अब तक पार्टी ने करीब 14 जिलों की कार्यकारिणी का एलान कर दिया और भाजपा की जिला कार्यकारिणी में परिवारवाद की नो एंट्री कर दी गई है। ऐसा नहीं है पार्टी ने गुपचुप तरीके से जिला कार्यकारिणी में परिवारवाद की नो एंट्री का नियम बनाया हो, इसको खूब प्रचारित भी किया गया।
दरअसल जिलों की भाजपा कार्यकारिणी का एलान प्रदेश मुख्यालय भोपाल से हो रहा है। पहले तो जिला कार्यकारिणी नेता पुत्रों-पुत्रियों और परिवार के अन्य लोगों को जगह दी गई लेकिन बाद में परिवारवाद से किनारा करने का ढिंढौरा पीटकर इन नेता पुत्रों और पुत्रियों से इस्तीफा ले लिए गए। सतना भाजपा की जिला कार्यकारिणी में शामिल किए गए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे से भी इस्तीफा लिया गया। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन को बीजेपी ने जिला कार्यकारिणी से हटा दिया गया है। इसी तर्ज पर मंडला भाजपा जिला कार्यकारिणी में शामिल कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके की बेटी को जिला कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया है।
नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अभी अपनी नई टीम का गठन नहीं किया है। ऐसे में अब यह सवाल बड़ा हो गया है कि अगर पार्टी की जिला कार्यकारिणी में नेता पुत्रों को एंट्री नहीं दी जा रही है तो क्या प्रदेश भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी में भी नेता पुत्रों को एंट्री नहीं दी जाएगी। भाजपा में परिवारवाद को लेकर लंबे समय से बहस होती रही है और वह नेता पुत्र जो लंबे समय से राजनीति क्षेत्र में सक्रिय है इस पर सवाल भी उठाते रहे है।
महाआर्यमन सिंधिया-पिछले दिनों जिस तरह से कांग्रेस से भाजपा में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने बेटे महाआर्यमन सिंधिया को MPCA का चैयरमैन बनाया है उसको लेकर भी पार्टी के अंदर खाने काफी चर्चा रही है। पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नक्शे कदम पर चल रहे महाआर्यमन सिंधिया भी अब राजनीति में एंट्री की पूरी तैयारी में दिखाई दे रहे है। महाआर्यमन सिंधिया अपने पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना-शिवपुरी में काफी सक्रिय रहते है। गौरतलब है कि माआर्यमन से पहले उनके दादा माधवराव सिंधिया और पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एमपीसीए के अध्यक्ष रह चुके है।
अभिषेक भार्गव- मध्यप्रदेश विधानसभा में लगातार रिकॉर्ड 9वीं बार के विधायक औऱ पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव के सियासी करियर में परिवारवाद का फॉर्मूला आड़े आ रहा है। अभिषेक भार्गव 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में सागर लोकसभा के टिकट के प्रमुख दावेदार थे लेकिन परिवारवाद के फॉर्मूले के कारण भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इतना ही नहीं 2023 विधानसभा चुनाव में पिता गोपाल भार्गव ने खुद की जगह बेटे अभिषक भार्गव को टिकट देने मंशा पार्टी आलाकमान के सामने रखी थी लेकिन पार्टी इसके लिए तैयार नहीं हुई।
देवेंद्र सिंह तोमर-भाजपा के वरिष्ठ नेता औऱ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी अपनी सियासी पारी शुरु करने के इंतजार में है। नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना से विधानसभा चुनाव लड़ने और विधानसभा अध्यक्ष बन जाने के बाद अब उनके पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर का सियासी भविष्य परिवारवाद के फॉर्मूले के कारण अंधकरा में दिखाई दे रहा है। देवेंद्र सिंह तोमर भाजपा के उन युवा चेहरों में शामिल है जो लंबे समय से अपनी सियासी पारी शुरु करने के इंतजार में है। नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की नई कार्यकारिणी में देवेंद्र सिंह तोमर एक तगड़े दावेदार है लेकिन पार्टी का परिवारवाद का फॉर्मूला इसके आड़े हाथों आ रहा है।
कार्तिकेय चौहान-केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान भी राजनीति में लंबे समय से सक्रिय है। कार्तिकेय अपने पिता की परंपरागत सीट बुधनी में लगातार सक्रिय है, जब शिवराज सिंह चौहान विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद बुधनी सीट छोड़ी तो कार्तिकेट टिकट के तगड़े दावेदार थे लेकिन परिवारवाद का फॉर्मूला ने उसके सियासी पारी के आगाज में आड़े आ गया।
सिद्धार्थ मलैया-भाजपा के दिग्गज नेता जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया भी राजनीति में बेहद सक्रिय है। इस बार विधानसभा चुनाव में जयंत मलैया भाजपा के टिकट पर आठवीं बार दमोह से विधायक चुने गए है। चुनाव में सिद्धार्थ मलैया ने पूरी चुनावी कमान अपने हाथों में ली और पिता को बड़े मार्जिन से जीत हासिल की।
मुदित शेजवार-प्रदेश के पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार भी राजनीति में बेहद सक्रिय है। रायसेन जिले की सांची विधानसभा सीट पर मुदित शेजवार टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन पार्टी ने तत्कालीन मंत्री प्रभुराम चौधरी भरोसा जताया था। वहीं मोहन सरकार में प्रभुराम चौधरी के मंत्री नहीं बन पाने के बाद अब अब मुदित शेजवार का खेमा बेहद सक्रिय है और वह अपनी सियासी पारी शुरु करने का इंतजार कर रहे है। मुदित शेजवार प्रदेश भाजप कार्यकारिणी में जगह पाने के दावेदार है।
मोदी का परिवारवाद का फॉर्मूला-2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीति में परिवारवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में परिवारवाद की परिभाषा दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर किसी परिवार के एक से अधिक लोग जन समर्थन से अपने बलबूते राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति करते हैं तो उसे हमने कभी परिवारवाद नहीं कहा। पीएम मोदी ने परिवारवाद को परिभाषित करते हुए कहा था कि “आज मैं परिवारवाद का मतलब समझा देता हूं। अगर किसी परिवार के एक से अधिक लोग जन समर्थन से अपने बलबूते राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति करते हैं तो उसे हमने कभी परिवारवाद नहीं कहा। हम किसी पार्टी को एक ही परिवार द्वारा चलाये जाने, परिवार के लोगों को ही प्राथमिकता मिलने, परिवार के लोगों द्वारा ही सारे निर्णय लिये जाने को परिवारवाद मानते हैं।
इसके साथ पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में एक परिवार के दस लोग राजनीति में आएं, कोई बुराई नहीं है, मैं एक परिवार के दस लोगों की प्रगति का स्वागत करता हूं, नयी पीढ़ी के अच्छे लोग आएं, यह स्वागत योग्य बात है। पीएम मोदी ने संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह का जिक्र करते हुए सदन को परिवारवाद का मतलब समझाया था।
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