जंजीरों में जकड़ा पेड़ करता है मनोकामनाएं पूर्ण

कीर्ति राजेश चौरसिया

गुरुवार, 29 अगस्त 2019 (07:00 IST)
क्या कोई पेड़ आपकी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकता है, वह भी जंजीरों में जकड़ा हुआ? भरोसा तो नहीं होता, लेकिन बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में करीब 170 साल पुराना पेड़ लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु पेड़ में जंजीर (सांकल) ठोककर चले जाते हैं।
 
मध्यप्रदेश में छतरपुर जिला मुख्‍यालय से महज 27 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव बरट में एक पेड़ दशकों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। दूर-दूर से लोग अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और पेड़ में लगी जंजीरों को पकड़कर मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर लोग श्रद्धा के तौर पर लोहे की जंजीर ठोक जाते हैं। बुंदेलखंडी में इसे सांग ठोकना भी कहा जाता है। 
 
दरअसल, मन्नत पूरी होने के बाद जंजीर ठोकने को कुंडी लगाना, बांधना भी कहा जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि यह अनंत तक अटल और अमर रहे। 
 
कहा जाता है कि पेड़ में अब तक हजारों की संख्या में लोहे की जंजीरें लगाई जा चुकी हैं। बड़ी संख्या में जंजीरें तो पेड़ के तने में ही समा गई हैं। 
 
स्थानीय लोगों का मानना है कि जब यह पेड़ छोटा था तब से लोग इसमें सांग लगाते हुए चले आ रहे हैं। यह पेड़ कई पीढ़ियों से चला आ रहा है।

ग्रामीणों का दावा है कि यह लगभग 150 वर्ष से भी पुराना रिवाज है। बुजुर्गों की मानें वह अपने जन्म के बाद से ही इस पेड़ को इसी प्रकार से देख रहे हैं। वे कहते हैं कि इस पेड़ में देवता वसते हैं। ग्रामीणों के अनुसार लोग यहां बच्चे की मन्नत, शादी, वाद-विवाद निपटने, धन-दौलत सहित अन्य परेशानियों को लेकर दूर-दूर से आते हैं।
 
ऐसी मान्यता है कि यहां आकर लोग जो भी मुराद मांगते हैं, वह पूरी हो जाती है। गिरी हुई जंजीर जमीन में दफन हो जाती है। कहा जाता है कि अगर कोई जंजीर उठा ले जाता है तो उसका अहित हो जाता है। 
 
पूरे मामले पर जब भाजपा नेत्री और नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना गुड्डू सिंह से बात की तो उन्होंने इसे लोहों की आस्था का केंद्र बताया और कहा कि वैसे भी पेड़ हमारे प्राकृतिक भगवान हैं। हम उनके बगैर जिंदा नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि जिसे लोग देवता मानकर वर्षों से पूजते आ रहे हैं तो स्वाभाविक है कोई चमत्कार तो होगा ही। 
 

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