भोपाल। राजधानी भोपाल और इंदौर में शिवराज सरकार ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का बड़ा फैसला किया है। शिवराज सरकार के फैसले के बाद अब लोगों के मन में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को जनाने को लेकर उत्सुकता है। लोगों के मन में यह भी सवाल है कि पुलिस-कमिश्नर प्रणाली से जिले के प्रशासन पर क्या असर पड़ेगा। पुलिस कमिश्नर प्रणाली को समझने के लिए वेबदुनिया ने प्रदेश के रिटायर्ड डीजीपी सुभाष अत्रे से खास बातचीत की।
वेबदुनिया से बातचीत में मध्यप्रदेश के पूर्व डीजीपी सुभाष अत्रे कहते हैं की सरकार के पुलिस आयुक्त प्रणाली भोपाल और इंदौर में लागू करने के फैसले का वह स्वागत करते है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का फैसला बहुत दिन से अपेक्षित था। पुलिस-आयुक्त प्रणाली एक स्थापित प्रणाली और देश के कई शहरों में यह प्रणाली सफलतापूर्वक अच्छी तरह से काम कर रही है।
वेबदुनिया से बातचीत में पूर्व डीजीपी सुभाष अत्रे कहते हैं कि सरकार के इस फैसले के बाद भोपाल और इंदौर में पुलिस के पास मजिस्ट्रियल पॉवर आ जाएगी और वह अपने निर्णय तेजी से ले सकेगी। दोनों ही जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली के लागू होने से आयुक्त का एकल नियंत्रण होगा, जिससे पुलिस को काम करने में जो बहुत सारी जो टेक्निकल दिक्कत आती है वह अब दूर हो जाएगी।
अब तक पुलिस को अपने फैसलों जैसे अपराधी को जिलाबदर करना, गुंडा एक्ट लगाना, रासुका लगाना जिन फैसलों के लिए कलेक्टर की अनुमति लेती पड़ती थी अब आयुक्त ऐसे निर्णय खुद ले सकेगा। अब तक ऐसे निर्णय कलेक्टर करता है लेकिन कलेक्टर के पास बहुत सारे अन्य प्रशासनिक काम भी होते है जिसमें वह पुलिस पर पर्याप्त ध्यान देने का समय नहीं मिल पाता।
भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली में दोनों जिलों आयुक्त किस स्तर का अधिकारी होगा इस पर पूर्व डीजीपी कहते हैं कि सरकार तय करेगी। वैसे DIG रैंक या IG रैंक का आयुक्त हो सकता है। अपराधिक नियंत्रण प्रणाली में आयुक्त प्रमुख व्यक्ति होगा और उसकी की प्रमुख जिम्मेदारी रहेगी।
भोपाल और इंदौर जैसे बड़े जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के फैसले पर पूर्व डीजीपी सुभाष अत्रे कहते हैं कि दोनों ही बड़े जिले जनसंख्या की दृष्टि से बड़े जिले है। छोटे जिलों में कलेक्टर को तो समय मिल जाता है लेकिन भोपाल और इंदौर जैसे बड़े जिलों में कलेक्टर और एसडीएम इतने व्यस्त रहते है कि वह चाहकर भी पुलिस पर ध्यान नहीं दे पाते। इसलिए पुलिस आयुक्त प्रणाली कारगर होगी।
पुलिस-आयुक्त प्रणाली लागू होने से आयुक्त और डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारियों के पास ज्यूडिशियल शक्तियां होगी और मामलों का जल्द निपटारा हो जाएगा। जिलों में वर्तमान में अभी सभी प्रकार की जरुरी कार्रवाई के लिए कलेक्टर की अनुमति की जरुरत होती है ऐसे में कई बार ऐसी परिस्थितयां सामने आ जाती है कि जिलाधिकारी अपनी व्यस्ताओं के चलते अपराध नियंत्रण से जुड़े जरुरी निर्णयों में अपनी अनुमति नहीं दे पाता है।
भोपाल और इंदौर में पिछले काफी लंबे समय से पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने की बात की जा रही थी और अब शिवराज सरकार ने राजधानी भोपाल और इंदौर में इसको लागू करने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद अब इन दोनों जिलों में पुलिस को और अधिकार मिल सकेंगे और वह आसानी से अपने कामों को कर सकेगी।