महाभारत में ये 7 लोग जानते थे कि कुरुक्षेत्र के युद्ध का क्या होगा परिणाम

अनिरुद्ध जोशी

सोमवार, 28 दिसंबर 2020 (12:13 IST)
महाभारत का युद्ध आज (2020) से 5157-58 वर्ष पूर्व हुआ था। कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडवों के बीच 18 दिन तक लड़े गए इस युद्ध में केवल 18 ही महारथी बचे थे। कौरव के तो कुल का ही नाश हो गया था और पांडवों के भी लगभग सभी पुत्र मारे गए थे। जब युद्ध का होना तय भी नहीं हुआ था तब से ही पांच ऐसे लोग थे जो यह जानते थे कि युद्ध होगा और उसका क्या परिणाम होगा।
 
 
1. श्रीकृष्ण : यह बात तो सभी जानते ही हैं कि श्रीकृष्ण को युद्ध होने और इसका क्या परिणाम होगा इसकी जानकारी पूर्व से ही थी। 
 
2. भीष्म : भीष्म को भी दिव्य दृष्टि प्राप्त थी और वे भी जानते थे कि युद्ध तय है और इसका परिणाम भी क्या होगा यह भी वे जानते ही थे। परंतु उन्हें दु:ख बस इसी बात का था कि उन्हें कौरवों की ओर से युद्ध लड़ना होगा। भीष्म अपने पूर्व जन्म में आठ वसु देवों में से एक थे।
 
3. ऋषि वेदव्यास : ऋषि वेदव्यास भी दिव्य दृष्‍टि प्राप्त ऋषि थे और वे भी जानते थे कि युद्ध तय है परंतु फिर भी उन्होंने धृतराष्‍ट्र को संकेतों में समझाया था कि अभी भी वक्त है कि तुम यह युद्ध रोक दो अन्यथा तुम्हारे कुल का नाश हो जाएगा।
 
4. सहदेव : पांडवों में एकमात्र सहदेव ही त्रिकालदर्शी थे। सहदेव ने उनके पिता पांडु के मस्तिष्‍क के तीन हिस्से खाए थे इसीलिए वे त्रिकालदर्शी बन गए थे। सहदेव भविष्य में होने वाली हर घटना को पहले से ही जान लेते थे। वे जानते थे कि महाभारत होने वाली है और कौन किसको मारेगा और कौन विजयी होगा। लेकिन भगवान कृष्ण ने उसे शाप दिया था कि अगर वह इस बारे में लोगों को बताएगा तो उसकी मृत्य हो जाएगी।
 
5. संजय : यह भी कहा जाता है कि संजय को भी युद्ध का क्या परिणाम होगा यह ज्ञान था। संजय को महर्षि वेदव्यास ने दिव्य दृष्‍टि इसलिए प्रदान की थी ताकि वह महल में ही बैठे हुए युद्ध को देख सके और उसका वर्णन धृतराष्‍ट्र को सुना सके। दरअसल, महर्षि वेदव्यास से धृतराष्‍ट्र ने पूछा था कि ऋषिवर यदि आप इस युद्ध का परिणाम बताने की कृपा करेंगे तो कृपा होगी। तब वेदव्यासजी कहते हैं कि जो वृक्ष छाया नहीं देते हैं उनका कट जाना ही उचित है। तब धृतराष्ट्र पूछते हैं कि कटेगा कौन? यह सुनकर वेद व्यासजी कहते हैं कि इस प्रश्न का उत्तर तुन्हें संजय देंगे। ऐसा कहकर वेदव्यासजी चले जाते हैं। कहते हैं कि संजय श्रीकृष्ण के भक्त थे और वे धृतराष्ट्र के मंत्री भी थे अत: उन्होंने कभी भी अपनी भक्ति को मंत्री से नहीं टकराने दिया।
 
6. द्रोणाचार्य : कौरव और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य भी जानते थे कि जिधर श्रीकृष्ण हैं जीत उधर के पक्ष की ही होगी। द्रोणाचार्य को भी दिव्या दृष्ट्रि प्राप्त होने की बात कही जाती है। देवगुरु बृहस्पति ने ही द्रोणाचार्य के रूप में जन्म लिया था।
 
7.कृपाचार्य : यह भी कहा जाता है कि कृपाचार्य को भी युद्ध के परिणाम का अनुमान था। संभवत: उन्हें भी दिव्य दृष्‍टि प्राप्त थी। क्योंकि श्रीकृष्‍ण के विश्‍वरूप का दर्शन वही लोग कर सकते थे जिनके पास दिव्य दृष्‍टि थी। कृपाचार्य ने भी श्रीकृष्ण के विश्‍वरूप का दर्शन किया था।

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