कौन और कैसी थीं कर्ण की पत्नियां?

महाभारत में कुंती पुत्र कर्ण को अधिरथ और राधा ने पाला था। वह बालक गंगा में बहता हुआ एक किनारे से जा लगा। उस किनारे पर ही धृतराष्ट्र का सारथी अधिरथ अपने अश्व को जल पिला रहा था। उसकी दृष्टि मंजूषा में रखे इस शिशु पर पड़ी। अधिरथ ने उस बालक को उठा लिया और अपने घर ले गया। अधिरथ निःसंतान था। अधिरथ की पत्नी का नाम राधा था। राधा ने उस बालक का अपने पुत्र के समान पालन किया। उस बालक के कान बहुत ही सुन्दर थे इसलिए उसका नाम कर्ण रखा गया। इस सूत दंपति ने ही कर्ण का पालन-पोषण किया था इसलिए कर्ण को 'सूतपुत्र' कहा जाता था तथा राधा ने उसे पाला था इसलिए उसे 'राधेय' भी कहा जाता था।

 
व्रूशाली और सुप्रिया : कर्ण की दो पत्नियां थीं। दोनों ही बहुत सुंदर थी। 'अंग' देश के राजा कर्ण की पहली पत्नी का नाम वृषाली था। वृषाली से उसको वृषसेन, सुषेण, वृषकेत नामक 3 पुत्र मिले। वृषाली दुर्योधन के रथ के सारथी सत्यसेन की बहन थी। कहते हैं कि वृषाली ने कर्ण की मृत्यु के बाद उनकी चिता पर ही समाधी ले ली थी। वह बहुत चरित्रवान और पतिव्रता थी। व्रूशाली के मारे में मान्यता है कि उसने द्रौपदी को सलाह दी थी कि तुम महल छोड़कर अपने पिता या भाई के यहां चली जाओ। लेकिन द्रौपदी ने उसकी सलाह नहीं मानी। कुछ दिन बाद ही द्रौपदी का चीरहरण हो गया।
 
 
कर्ण की दूसरी पत्नी सुप्रिया थी। यह दुर्योधन की पत्नी भानुमती की अच्छी सहेली थी। दूसरी सुप्रिया से चित्रसेन, सुशर्मा, प्रसेन, भानुसेन नामक 3 पुत्र मिले। माना जाता है कि सुप्रिया को ही पद्मावती और पुन्नुरुवी भी कहा जाता था।

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