औरंगजेब कब्र विवाद के बीच महाराष्ट्र के नागपुर के महाल इलाके में 2 गुटों के बीच हिंसा भड़क गई। विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने औरंगजेब का पुतला फूंका था, इसके बाद हिंसा भड़क गई। दो पक्षों में पथराव हुआ। कई गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई। पुलिस ने बवाल कर रहे लोगों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। मीडिया खबरों के मुताबिक नागपुर में दो गुटों की हिंसा के बाद 17 लोग हिरासत में लिए गए। साइबर पुलिस अफवाह रोकने की कोशिश कर रही है। औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम समुदाय के पवित्र ग्रंथ को जलाये जाने की अफवाह के बाद यह हिंसा फैली।
केंद्रीय नितिन गडकरी ने कहा कि अफवाह की वजह से तनाव फैला। पुलिस ने बताया कि उपद्रव को भांपते हुए पुलिस ने गश्त तेज की और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बुलाया। एक अधिकारी ने बताया कि चिटनिस पार्क और महल इलाकों में पुलिस कर्मियों पर पथराव किया गया। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। एक अधिकारी ने बताया कि अन्य इलाकों में भी हिंसा की सूचना है।
पवित्र ग्रंथ जलाने की अफवाह
औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम समुदाय के पवित्र ग्रंथ को जलाये जाने की अफवाह के बाद मध्य नागपुर में सोमवार को तनाव उत्पन्न हो गया और पुलिस पर पथराव किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान चार लोग घायल हो गए। पुलिस के अनुसार शाम को गणेशपेठ थाने में पवित्र ग्रंथ जलाने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने बताया कि शिकायत के बाद, बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग महल, कोतवाली, गणेशपेठ और चिटनिस पार्क समेत शहर के विभिन्न इलाकों में इकट्ठा होने लगे।
बजरंग दल ने कहा जलाया था औरंगजेब का पुतला
बजरंग दल के पदाधिकारियों ने हालांकि आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि उन्होंने अपने प्रदर्शन के तहत केवल औरंगजेब का पुतला जलाया था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी), दंगा नियंत्रण पुलिस और राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न थानों से अतिरिक्त पुलिस कर्मियों को भी बुलाया गया है।
लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने चिटनिस पार्क और महल इलाकों में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। अधिकारियों ने बताया कि हिंसा दोपहर बाद कथित तौर पर कोतवाली और गणेशपेठ तक फैल गई। अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार चिटनिस पार्क से शुक्रवारी तालाओ रोड क्षेत्र हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित है, जहां दंगाइयों ने कुछ चार पहिया वाहनों में आग लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि निवासियों के घरों पर भी पथराव किया गया। पुलिस हजारों की भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश कर रही है।
सोशल मीडिया पर फैली अफवाह
अधिकारियों ने अनुसार यह उपद्रव दोपहर बाद शुरू हुआ, जब बजरंग दल के सदस्यों ने महल इलाके में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। पुलिस के अनुसार, अफवाह फैली कि आंदोलन के दौरान कुरान को जलाया गया। पुलिस के अनुसार बजरंग दल के प्रदर्शन के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हुए, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोगों में आक्रोश फैल गया।
सीएम ने की शांति की अपील
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने नागरिकों से इस स्थिति में प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि हम लगातार पुलिस प्रशासन के संपर्क में हैं और नागरिकों को उनका सहयोग करना चाहिए। नागपुर एक शांतिपूर्ण शहर है और एक-दूसरे के सुख-दुख को साझा करता है। नागपुर की स्थायी परंपरा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपील की है कि किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें और प्रशासन का पूरा सहयोग करें।
#WATCH | Maharashtra: Efforts underway to douse fire in vehicles that have been torched in Mahal area of Nagpur.
बढ़ाई गई कब्र की सुरक्षा
छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज होने के बीच पुलिस-प्रशासन ने कब्र स्थल की सुरक्षा बढ़ा दी और यहां प्रवेश करने से पहले आगंतुकों के लिए पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए दिन में विभिन्न सरकारी कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपे।
महाराष्ट्र में औरंगजेब को मराठों के साथ युद्ध के लिए याद किया जाता है, जिन्होंने औरंगजेब की विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं का विरोध किया था। मराठा योद्धा राजा शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी को औरंगजेब के आदेश पर पकड़ लिया गया, प्रताड़ित किया गया और मार डाला गया। छत्रपति संभाजीनगर ग्रामीण पुलिस विभाग ने खुल्दाबाद शहर के प्रवेश बिंदू से लेकर कब्र स्थल तक कई स्थानों पर सुरक्षा नाके स्थापित किये हैं।
यहां एक अधिकारी ने बताया कि राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) की 50 पुलिसकर्मियों की एक कंपनी, स्थानीय पुलिस के 30 जवान और 20 होमगार्ड के जवानों को विभिन्न स्थानों और कब्र स्थल पर तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि अब कब्र पर आने वाले पर्यटकों को होमगार्ड की एक टीम के पास रखे आगंतुक रजिस्टर में अपना नाम लिखना होगा और पहचान संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
कब्र स्थल की देखरेख करने वाले परवेज कबीर अहमद ने कहा कि यहां स्थिति शांतिपूर्ण है और लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। कब्र को गिराने की मांग उठने के बाद से यहां आने वालों की संख्या में कमी आई है। रमजान के दौरान यहां आने वालों की संख्या आमतौर पर कम होती है। लगभग 100 लोग प्रतिदिन आते हैं, लेकिन मुद्दा उठने के बाद से यह संख्या कम हो गई है।
विधानमंडल में हंगामा
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तुलना मुगल बादशाह औरंगजेब से करने संबंधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल की टिप्पणी को लेकर सोमवार को महाराष्ट्र विधानमंडल हंगामा हुआ तथा सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के सदस्यों ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। मौजूदा बजट सत्र में विधानमंडल के दोनों सदनों में सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों द्वारा सपकाल के विरूद्ध कार्रवाई की मांग के साथ जबर्दस्त हंगामा हुआ। हालांकि सपकाल ने दावा किया कि वह फडणवीस एवं औरंगजेब के बीच नहीं, बल्कि उनके प्रशासन में समानताओं की तुलना कर रहे थे।
फडणवीस को बताया क्रूर शासक
उपमुख्यमंत्री तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजित पवार और राजस्व मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने सपकाल के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया। अजित पवार ने विधानसभा में कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को खुश करने और सुर्खियों में आने के लिए कुछ टिप्पणियां की जाती हैं। लेकिन उनका वोट प्रतिशत घट जाता है और उनके असली रंग नजर आ जाते हैं। यदि इस तरह की गलत टिप्पणी महत्वपूर्ण पदों पर व्यक्तियों के खिलाफ की गयी है, तो उन्हें सत्यापित किया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी। सपकाल ने रविवार को कहा था कि औरंगजेब एक क्रूर शासक था। आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उतने ही क्रूर शासक हैं। वह हमेशा धर्म से जुड़े मुद्दों का सहारा लेते हैं, लेकिन सरपंच संतोष देशमुख की हत्या जैसे मामलों पर कुछ नहीं करते।
कांग्रेस नेता भाई जगताप ने इस आरोप का खंडन किया और दावा किया कि सपकाल ने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया। दिन का सत्र शुरू होते ही विधानपरिषद में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ग्रुप (सदस्य दल) के नेता प्रवीण डेरेकर ने सदन में इस मुद्दे को उठाया।
डेरेकर ने कहा, राज्य का शासनकाज कुशल ढंग से चला रहे मुख्यमंत्री की तुलना औरंगजेब से करना एक अत्यधिक निंदनीय कृत्य है और महाराष्ट्र का अपमान है। उन्होंने यह भी मांग की कि एक उदाहरण स्थापित करने के लिए सपकाल के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए और सख्त कार्रवाई की जाए। महायुति के घटक दल राकांपा के अमोल मितकरी ने भी सपकाल के बयान की आलोचना की।
विपक्ष के नेता अंबदास दानवे ने व्यक्तिगत हमलों के बारे में अपनी अस्वीकृति प्रकट की लेकिन सरकार की औरंगजेब जैसी मानसिकता होने का आरोप लगाया। राकांपा (एसपी) के विधायक शशिकांत शिंदे ने इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं। बावनकुले ने विधानपरिषद में आश्वासन दिया कि सरकार आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर सपकाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने पर गंभीरतापूर्वक विचार करेगी। महायुति द्वारा की जा रही निंदा के बीच सपकाल ने सोमवार को कहा कि वह फडणवीस एवं औरंगजेब के बीच नहीं, बल्कि उनके प्रशासन में समानताओं की तुलना कर रहे थे।
उन्होंने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महाराष्ट्र में मौजूदा क्रूर शासन व्यवस्था बेहद परेशान करने वाली है। संतोष देशमुख की जघन्य हत्या, स्वारगेट बलात्कार कांड, किसानों की आत्महत्या और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार फडणवीस सरकार के शासन की भयावह तस्वीर पेश करते हैं। इस संदर्भ में, फडणवीस के शासन की तुलना औरंगजेब के शासन से करना उनके शासन के बीच समानताओं को उजागर करता है, न कि व्यक्तियों के बीच।
उन्होंने दावा किया कि लेकिन अब कुछ भाजपा नेता फडणवीस की तुलना औरंगजेब से कर रहे हैं। उन्होंने फडणवीस का असम्मान करने के आरोपों का खंडन किया। भाजपा प्रदेश प्रमुख बावनकुले की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए सपकाल ने उन्हें यह बताने की चुनौती दी कि फडणवीस के शासन की आलोचना करने से मराठी पहचान को किस प्रकार ठेस पहुंचती है। उन्होंने पूछा कि जब अभिनेता राहुल सोलापुरकर और प्रशांत कोराटकर ने छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया तो बावनकुले चुप क्यों रहे। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma