Maharashtra news in hindi : महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे ने एक मजिस्ट्रेट के उस अंतरिम आदेश के खिलाफ यहां एक सत्र अदालत में याचिका दायर की है जिसके तहत उन्हें उनकी पहली पत्नी होने का दावा करने वाली महिला को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया है। राकांपा नेता मुंडे ने अपनी याचिका में दोहराया कि उनकी करुणा मुंडे से कभी शादी नहीं हुई। करुणा उनकी पहली पत्नी होने का दावा करती हैं।
याचिका में कहा गया है कि वह मुख्य रूप से इस आधार पर मजिस्ट्रेट द्वारा आदेश दिए जाने से व्यथित हैं कि याचिकाकर्ता (धनंजय मुंडे) और प्रतिवादी संख्या एक (महिला) का एक दूसरे से विवाह हुआ था और इस प्रकार उनके बीच घरेलू संबंध हैं।
अधिवक्ता सयाली सावंत के माध्यम से दायर याचिका में उल्लेख किया गया है कि मजिस्ट्रेट ने अपने विवेक का उपयोग नहीं किया और अंतरिम भरण-पोषण देने का, मनमाना आदेश पारित कर दिया।
मंत्री ने दावा किया कि एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान उनका परिचय महिला से हुआ था और लगातार बातचीत से उनके बीच एक व्यक्तिगत संबंध बन गया, जिसे उन्होंने आपसी सहमति से आगे बढ़ाने का फैसला किया।
याचिका में कहा गया है कि इस रिश्ते से उनके 2 बच्चे पैदा हुए और धनंजय मुंडे ने बच्चों के केवल आधिकारिक दस्तावेज में इस्तेमाल करने के लिए अपने नाम और उपनाम का इस्तेमाल करने की अनुमति दी।
याचिका में कहा गया है कि इसके साथ ही प्रतिवादी को नेता की मौजूदा शादी के बारे में पूरी जानकारी थी लेकिन उन्होंने उनके साथ स्वेच्छा से संबंध बनाने का फैसला किया। लेकिन मुंडे के 2019 के विधानसभा चुनाव जीतने, राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होने और मुंबई में अपने आधिकारिक आवास पर अपनी पत्नी राजश्री मुंडे के साथ रहने के बाद महिला के व्यवहार में काफी बदलाव आया।
याचिका में कहा गया कि महिला और उनके परिवार ने अलग-अलग बहाने बनाकर बड़ी रकम की बार-बार और अनुचित मांग करनी शुरू कर दी। इसके बाद, महिला ने करुणा धनंजय मुंडे नाम से सोशल मीडिया पर कई अकाउंट बनाए और खुद को याचिकाकर्ता की पत्नी के रूप में गलत तरीके से पेश किया।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का प्रतिवादी संख्या एक से किसी भी तरह या रूप में विवाह नहीं हुआ और उनका राजश्री मुंडे से कानूनी रूप से विवाह हुआ है। वह करुणा मुंडे के साथ कभी एक घर में नहीं रहे। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान करुणा मुंडे ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
उन्होंने याचिका की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शेख अकबर शेख जफर के समक्ष कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम भरण-पोषण आदेश के क्रियान्वयन के लिए आवेदन नहीं करेंगी। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 21 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी और उन्हें अगली तारीख से पहले जवाब की एक प्रति पेश करने का निर्देश दिया।
बांद्रा मजिस्ट्रेट की अदालत ने 4 फरवरी को करुणा की अंतरिम याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया था और धनंजय मुंडे को अंतरिम गुजारा भत्ते के रूप में करुणा को 1.25 लाख रुपए प्रति माह और उनकी बेटी को 75,000 रुपए प्रति माह देने का निर्देश दिया था।
करुणा ने 2020 में धनंजय मुंडे के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था और अदालत ने अभी तक मुख्य याचिका के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया है। मजिस्ट्रेट ने अंतरिम आदेश में कहा था कि धनंजय मुंडे ने अपनी पहली पत्नी के साथ प्रथम दृष्टया घरेलू हिंसा की।