वृद्ध ने जवाब दिया, ‘उस समय तो हमें रोटी खाने का भी समय नहीं होता।
गांधी जी बोले, ‘तो क्या इस समय तुम बिलकुल निठल्ले हो और सिर्फ गप्पें हांक रहे हो। यदि तुम चाहो तो इस समय भी कुछ बो और काट सकते हो।’
गांधी जी ने गंभीरतापूर्वक कहा -
आप लोग कर्म बोइए और आदत को काटिए,
आदत को बोइए और चरित्र को काटिए,
चरित्र को बोइए और भाग्य को काटिए,