मकर संक्रांति है सूर्य पूजा का त्योहार, जानिए कैसे करें व्रत, मुहूर्त, पूजा की पौराणिक विधि और शुभ मंत्र
इस बार सूर्य 14 जनवरी की रात्रि में मकर में प्रवेश करेगा इस मान से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होने लगता है इसलिए इसे उत्तरायण का पर्व भी कहते हैं। मकर संक्रांति सूर्य पूजा, ऋतु परिवर्तन और फसल का त्योहार है। आओ जानते हैं कि इस दिन कैसे करें पूजा, कैसे रखें व्रत और जानिए पूजा के शुभ मंत्र एवं मुहूर्त।
मकर संक्रांति के दिन कैसे करें व्रत :- मकर संक्रांति के दिन जब तक पूजा करने के बाद गाय और गरीबों को दान नहीं दिया जाता तब तक व्रत रखना चाहिए। इस दिन पूजा के बाद तिल और गुड़ की मिठाइयां बांटते हैं।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त :-
- दिल्ली टाइम के अनुसार सुबह 7:15 पर सूर्योदय होगा और शाम 5:46 पर सूर्यास्त होगा।
- अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:09 से प्रारंभ होकर 12:52 तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त दोपहर 02:16 से प्रारंभ होकर 02:58 तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त 05:43 से प्रारंभ होकर 06:10 तक रहेगा।
मकर संक्रांति की पूजा कैसे करें : मकर संक्रांति पर सूर्यदेव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इसलिए इस दिन दोनों की पूजा होती है। शनि महाराज की काले तिल और सरसों के तेल से पूजा करते हैं और सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा का भी विधान है। तिल और जल से उनकी पूजा करते हैं।
स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने आराध्य देव की आराधना करें। श्रीहरि विष्णु, लक्ष्मी, श्रीकृष्ण या सूर्यदेव के चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। मूर्ति है तो स्नान कराएं। अब चित्र के समक्ष धूप, दीप लगाएं। फिर सूर्यदेव के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल आदि लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। षोडष तरीके से पूजा करने के बाद आरती करें और पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। सूर्यदेव को मकर संक्रांति पर खिचड़ी, गुड़ और तिल का भोग लगाएं। अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
सूर्य को अर्घ्य देना | Surya ko arghya dena ke fayde : मकर संक्रांति को सूर्य को अर्घ्य देने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल चंदन, रोली, लाल कनेर के पुष्प, अक्षत और गुड़ डालकर अर्घ्य देने से सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा कार्य करने के प्रति आत्मविश्वास जागृत होता है। सूर्य पिता का कारक है और जिस तरह पिता के होने से व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है उसी तरह सूर्य की शीतल रश्मियां जल के साथ जब ह्रदयस्थल पर पड़ती है तो दिल मजबूत होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह हर तरह की सेहत प्रदान करता है।