1. सूर्य आराधना का दिन : इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इसे सोम्यायन भी कहते हैं। 6 माह सूर्य उत्तरायन रहता है और 6 माह दक्षिणायन। अत: यह पर्व 'उत्तरायन' के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति से लेकर कर्क संक्रांति के बीच के 6 मास के समयांतराल को उत्तरायन कहते हैं। इस दिन से दिन धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है और रातें छोटी। इसीलिए सूर्य आराधना और वंदना की जाती है।
2. पतंग महोत्सव : यह पर्व 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। अत: उत्सव के साथ ही सेहत का भी लाभ मिलता है।
4. दान : इस दिन दान करने के खासा महत्व है। तिल, गुड़, खिचड़ी, नए वस्त्र, कंबल आदि दान करने के साथ ही दक्षिणा भी दी जाती है।
6. मेला : इस दिन कई जगहों के साथ ही इस दिन गंगासागर में मेला भी लगता है।
7. तिल गुड़ खाना : सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारियां जल्दी लगती हैं इसलिए इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान्न या पकवान बनाए, खाए और बांटे जाते हैं। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं। उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है।