सूर्य के उत्तरायण होते ही ही वातावरण में गर्माहट आना शुरू हो जाएगी। इस बार संक्रांति का वाहन भैंसा और उप वाहन ऊंट है। संक्रांति आदिवासियों, अल्पसंख्यक वर्ग, गरीब व्यक्तियों के लिए शुभकारी रहेगी।
संक्रांति पर्व धार्मिक गुरु, शिक्षक व सुरक्षाकर्मियों के लिए यह कष्टकारी हो सकता है। वैसे तो मकर संक्रांति से मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है लेकिन शुक्र तारा अस्त होने के कारण इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। अत : मंगल कार्य 4 फरवरी के बाद होंगे। संक्रांति का पर्व सूर्यदेव का है। इस दिन रविवार व सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इसकी महत्ता चार गुना अधिक रहेगी।
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय सौर मास कहलाता है। वैसे तो 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन चार महत्वपूर्ण हैं। यह हैं मेष, कर्क, तुला व मकर संक्रांति। मकर संक्रांति पर शुभ मुहूर्त में स्नान, दान व पुण्य विशेष फलदायी माना जाता है। मकर संक्रांति पर गुड़ व तिल लगाकर नर्मदा में स्नान करना लाभदायक है। संक्रांति पर गुड़, तेल, कंबल, फल व छाता आदि दान करने से बहुत पुण्य मिलता है।