मकर संक्रांति पुण्यवर्द्धक पर्व

- डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी

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तेज, क्रांति, दीप्ति के अधिष्ठाता ग्रहराज सूर्य के अयन परिवर्तन का दिवस मकर संक्रांति से देवता का काल प्रारंभ होता है। यह दिन शुभ कार्य के प्रारंभ का काल है। इस योग की प्रतीक्षा में इच्छामृत्यु योगधारी भीष्म पितामह ने कई दिन मृत्युशैया पर बिताकर इसकी महत्ता को प्रतिष्ठित किया है।

इस वर्ष में इस शुभ योग का उदय बुधवार, 14 जनवरी 09 के सूर्योदय पूर्व होगा, लेकिन योग का फल सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। पुण्यकाल भी इस संपूर्ण अवधि में रहेगा। इस दिन तीर्थ के दर्शन, पवित्र स्थान पर स्नान, पवित्र ग्रंथ का पाठ-पूजन, जप एवं दान का अनंत गुना फल मिलता है।

कर्म गुरु के स्थान या संग, ब्राह्मण-विद्वानों के संग, अपने लिए पूज्य या आदरणीय जन को सम्मान-दान एवं बहन-बुआ-बेटी को दान करना चाहिए। दान में नवीन वस्त्र, फल, तिल, गुड़, शुद्ध घी, मूँग, चावल, चाँदी, मिष्ठान्न, मुद्रा का उपयोग करना चाहिए।

सिंह पर सवार : इस वर्ष की इस संक्रांति का वाहन सिंह, उपवाहन हाथी है। नक्षत्र, करण आदि से लेखक, जोखिम के कार्य करने वाले, जनजाति के व्यक्ति, अल्पसंख्यक वर्ग, निर्धन जन, वन निवासी के पक्ष में शासकीय लाभ की घोषणा लाभकारी सिद्ध होगी। जिन जातक को इस संक्रांति का फल प्रतिकूल है, उन्हें इस दिन सूर्योदय से पूर्व ही साधना करके दान करना चाहिए। सूर्य को अर्घ्य रक्त पुष्प मिलाकर दें तथा पूर्वाभिमुख करके 'ॐ सूर्याय नमः' इस मंत्र का 7 माला जप करें।

राशि पर संक्रांति का फ
मेष- कार्य में सफलता।
वृषभ- आर्थिक लाभ की प्रबल संभावना बनेगी।
मिथुन- कष्ट का सामना करना पड़ेगा।
कर्क- कार्य में गति की प्राप्ति के योग हैं।
सिंह- विजय की प्राप्ति का फल मिलेगा।
कन्या- परिश्रम का परिणाम शीघ्र दिखेगा।
तुला- प्रतिष्ठा में कमी आ सकती है।
वृश्चिक- भाग्योदयकारक योग है।
धनु- मनोबल की कमी हो सकती है।
मकर- यात्रा या कार्य के स्थान में परिवर्तनकारक योग बनेगा।
कुंभ- आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है।
मीन- आर्थिक स्थिति में वृद्धि।