Parenting Tips: हर माता-पिता की कोशिश होती है कि उनका बच्चा संस्कारी बने। लेकिन कभी-कभी बच्चों में कुछ ऐसी आदतें विकसित हो जाती हैं, जो पेरेंट्स के लिए चिंता का विषय बन जाती हैं। अमूमन टीनएजर बच्चों के माता-पिता को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि बड़े होते बच्चे का पहले से ही ध्यान रखा जाए, ताकि वे टीनएज में पहुंचकर बिगड़ न जाएं।
जिद, गुस्सा और चिडचिडापन
यदि आपका बच्चा हर एक बात पर जिद करता है और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो भी हो जाता है, तो यह संकेत आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है। बच्चों का ऐसा व्यवहार अक्सर यह दर्शाता है कि वह अपनी बात को मनवाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में, कई बार पेरेंट्स उनकी बातों से सहमति नहीं जताते हैं और न ही हर बार उनकी जिद को पूरी करते हैं, जबकि ऐसी स्थिति में पेरेंट्स को स्मार्ट तरीके से काम लेना जरूरी होता है।
झूठ बोलना और धोखा देना
अगर आपका बच्चा बार-बार झूठ बोलता है और आपको धोखा देता है, तो यह एक गंभीर समस्या हो सकती है। बच्चे के अंदर विकसित हो रहा ये व्यवहार ईमानदारी और सच्चाई की कमी को दर्शाता है। आपने गौर किया होगा कई बार घर लौटने में देरी होती है, तो बच्चे पढ़ाई और एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना देते हैं, जबकि क्लास से पता चलता है कि ऐसा कुछ था ही नहीं। इस तरह के झूठ बोलने की हरकतें भी बच्चों के बिगड़ने की ओर इशारा करती हैं।
दूसरों के साथ बुरा व्यवहार
यदि आपका बच्चा बड़ों का अनादर करता है या उनके लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है, तो यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। इस तरह का व्यवहार अनुशासन और संस्कारों की कमी को दर्शाता है। ऐसी हरकतों का मतलब है कि आपके बच्चे में आपके दिए संस्कार नहीं आए हैं, लेकिन दोस्तों के साथ बुरी संगत का असर हो रहा है। शुरुआती दौर में ही अगर कंट्रोल न किया गया, तो आपका बच्चा पूरी तरह से बिगड़ सकता है।
चोरी की आदत
अगर आपका बच्चा घर से या बाहर से चीजें चुराता है, तो यह बेहद चिंताजनक बात है। अब जाहिर सी बात है, कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चे को ऐसी सीख नहीं देते हैं। इसका मतलब साफ है कि आपका बच्चा गलत संकेत में पड़ रहा है। अगर यही हालत रही और इस पर कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह बड़ा होकर बड़े क्राइम को भी अंजाम दे सकता है।
यदि आप अपने बच्चे में इनमें से कोई भी संकेत देखते हैं, तो घबराने की जगह बच्चे के साथ बैठकर शांति से बात करें। उनकी परेशानियों के बारे में जानने की कोशिश करें। साथ ही, समस्या की जड़ को समझने के बाद आप बच्चे से प्यार और सम्मान से बात करके उन्हें सही और गलत के बीच के फर्क को समझाएं।