निधि कुलपति : सबसे सौम्य

सोमवार, 6 अक्टूबर 2014 (13:35 IST)
निधि कुलपति टेलीविजन की उन न्यूज एंकर्स में से हैं, जिनको दिखते हुए लोग अपना चैनल नहीं बदलते। भूत, भभूत, लंगोट, नाग, नागिन, बलात्कार, शीला और मुन्नी जैसे मुद्दों पर टीआरपी बटोरने वाले चैनल भी उनके सामने टिक नहीं पाते। कुदरत उन पर मेहरबान रही है और अपने प्रोग्राम के लिए वे कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। विषय की गहरी समझ, मेहनत और लगातार अध्ययन के कारण वे टीआरपी का पर्याय बन गई हैं।

निधि कुलपति भारतीय टेलीविजन की दुनिया की सबसे आकर्षक और सबसे सौम्य न्यूज प्रेजेंटेटर्स में से एक हैं। रात के समय इतमीनान से खबरें देखने के लिए जब दर्शक कोई चेहरा टीवी चैनलों पर खोजते हैं, तो सबसे पहले नाम शायद जिनका ध्यान में आता है, वो निधि ही हैं।

सीखने की ललक और जी-तोड़ मेहनत का माद्दा निधि के अंदर कूट-कूटकर भरा है। पिछले 23 सालों से वे पत्रकारिता कर रही हैं, पर आज भी अपने आपको एक विद्यार्थी ही मानती हैं, जो हर दिन इस पेशे का कोई न कोई सबक सीखता है। दिल्ली में ही पली-बढ़ी नि‍धि कुलपति ने 1991 में अपना करियर 'न्यूजट्रैक' के साथ शुरू किया। इसके बाद उन्होंने 'जी टीवी' के साथ 6 साल तक काम किया। वहां से निकलकर निधि का सफर 'एनडीटीवी' के साथ शुरू हुआ, जो आज भी अनवरत जारी है। एनडीटीवी इंडिया पर आप उन्हें अकसर 'मेरा बुलेटिन' और 'इंडिया 9 बजे' जैसे प्रोग्रामों में एंकरिंग करते हुए देख सकते हैं।

टीवी न्यूज इंडस्ट्री में एपीयरेंस भले ही सबसे बड़ी मांग और चैनल की ब्रांड इमेज को बढ़ाने के लिए जरूरी हो, पर अपनी सादगी और सहजता के चलते निधि कुलपति की दर्शकों के बीच एक अलग पहचान है।

अपनी निष्ठा, ईमानदारी और कर्मठता के चलते उन्होंने अपनी एक अलग पहचान चैनल के अंदर भी बनाई है और बाहर भी। खबरों को जानने और उनकी अहमियत समझने में माहिर निधि हिन्दी टीवी पत्रकारिता के उन चेहरों में शुमार हैं जिन्होंने खबर को ही अपना जीवन मान लिया है।

हर बात को समझते हुए, उससे सीखते हुए और फिर लगातार अपने काम में बेहतर होते हुए निधि ने भारतीय महिला या यूं कहें कि टीवी पर दिखने वाली भारतीय महिला पत्रकारों के उस रूप को जीवंत रखा है, जो शायद दूरदर्शन के प्रारंभिक दिनों में दिखाई देता था।

ऐसे समय में जब ग्लैमर के नाम पर टीवी में फूहड़ता का बोलबाला है, उस वक्त निधि कुलपति हर उस महिला प‍त्रकार को यह भरोसा दिला रही हैं कि खबरों के इस दौर में शांति, सुकून और जिम्मेदारी से भी खबर अपने दर्शकों तक पहुंचाई जा सकती है।   (मीडिया विमर्श में अंकुर विजयवर्गीय)

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