पवाड़ को पवाँर, जकवड़ आदि नामों से पुकारा जाता है। वर्षा ऋतु की पहली फुहार पड़ते ही इसके पौधे खुद उग आत...
त्वचा रोगों में भी मुलहठी लाभकारी है। मुलहठी का लेप बनाकर इस्तेमाल किया जाता है। इससे त्वचा का रंग न...
बैद्यनाथ केसरी कल्प का प्रमुख घटक द्रव्य है 'आमलकी' अर्थात आँवला। प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में आमलकी...
संस्कृत- पुनर्नवा। हिन्दी- सफेद पुनर्नवा, विषखपरा, गदपूरना। मराठी- घेंटूली। गुजराती- साटोडी। बंगला-श...
शतावरी वैसे तो स्त्री-पुरुष दोनों के लिए ही उपयोगी व लाभप्रद गुणों से युक्त जड़ी है, फिर भी यह स्त्रि...
यह बल बढ़ाने वाला, शीतवीर्य, भारी, स्निग्ध, तृप्तिदायक और मांस की वृद्धि करने वाला होता है। यह वात-पि...
हमारे देश में नाना प्रकार की जड़ी-बूटियां और वनस्पतियाँ उपलब्ध हैं और प्रत्येक जड़ी-बूटी किसी न किसी ह...
आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा की है और इसकी गुणवत्ता को प्रतिष्ठित किया है। आयुर्वेद के बलपुष्...
जैसे हरड़-बहेड़ा-आंवला को त्रिफला कहा जाता है, वैसे ही सोंठ-पीपल-काली मिर्च को 'त्रिकटु' कहा जाता है। ...