हमीं अकेले नहीं जागते हैं रातों में,
उसे भी नींद बड़ी मुश्किलों से आती है।
ये नफरत में बुझे तीरों से हमको डर नहीं लगता,
अगर तू प्यार से कह दे तो दुनिया छोड़ देते हैं - मुनव्
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो मुझसे खफ़ा नहीं होती - मुनव्वर राना
जो ख़ाकसार बनके गु़जारे ये ज़िंदगी,
उस आदमी के पाँव तले आसमान है।
सब को इक दिन पलट के जाना है,
ज़िंदगानी का क्या ठिकाना है - अज़ीज़ अंसारी
इसको हरदम संभालकर रखिए,
आबरू क़ीमती ख़ज़ाना है - अज़ीज़ अंसारी
वो इस सलीके से घर में दिया जलाता था,
पड़ोसी के घर में बराबर नूर जाता था।
बेवफ़ा होते हुए भी, बावफ़ा हो जाएगा,
पूजते रहने से पत्थर देवता हो जाएगा - रामकृष्ण पांडेय 'आमिल'
ख़ुदा तेरी बातों में देगा असर,
तू अपनी जुबाँ बेजुबानों में रख - अज़ीज़ अंसारी
मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत,
जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे।।
मुझको हँसते हुए इस दुनिया से रुखसत कीजे,
कोई रोता है भला जब कोई घर जाता है - मुनव्वर राना
बचा लिया मुझे तूफ़ाँ की मौज ने वरना,
किनारे वाले सफ़ीना मेरा डुबो देते।
ये आईने तुझे तेरी खबर क्या देंगे फ़राज,
आ देख मेरी आँखों में के तू कितना हसीन है।
जैसे खुशबू मिले गुलाबों में,
जब कभी मेरी याद आए तो,
मैं मिलूँगा इन्हीं किताबों में - अज़ीज़ अंसार
ग़म किसी का हो ग़म समझता हूँ,
अब भी इंसान मुझमें रहता है - ज़फ़र रज़ा
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंजिल बढ़ती आती है,
चुपके-चुपके मेरे हक़ में कौन दुआएँ करता है - आलोक श्री
ये जिस्म क्या है, कोई पैरहन उधार का है,
यहीं संभाल के पहना, यहीं उतार चले।
गुस्ताखी हमसे होगी सिर्फ एक बार,
जब सब चलेंगे पैदल हम कांधों पर सवार।