खंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम अमीर, सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है - अमीर मीनाई
"गिराना ही है तो मिरी बात सुन, मैं मस्जिद गिराऊँ तू मंदिर गिरा" - मुहम्मद अल्वी
रोज़ अच्छे नहीं लगते आंसू , खास मौकों पे मज़ा देते हैं - मुहम्मद अल्वी
बाद में साथ निभाने की क़सम खा लेना, देख लो जलता हुआ पहले पतंगा कोई - मुनव्वर राना
प्यार कैसा है कैसी उल्फ़त है ख़ुद पहलवान घोड़ा बन जाए एक बच्चे में इतनी ताक़त है - अज़ीज़ अंसारी
दौलत से मुहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन, बच्चों ने खिलौनों की तरफ़ देख लिया था - मुनव्वर राना
मोहब्बत का अज़ब दस्तूर देखा, उसी की जीत है जो हार जाये।
बहारों के ही हम आशिक नहीं, ये जान लो 'नीरज' खिजाओं के लिये दिल में, बहुत सम्मान रखते हैं।
मैं तेरे करीब आते-आते, कुछ और भी दूर हो गया हूँ - अतहर नफ़ीस
वो रहने को तो हर इक वक्त, दिल के पास रहे, रहे वो पास, मगर फिर भी हम उदास रहे।
कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशीं रहे, जब तक हमारे पास रहे, हम नहीं रहे - जिगर
फसादों से न सुलझे हैं, न सुलझेगें कभी मसले हटा तू राह के कांटे, मैं लाकर गुल बिछाता हूँ - नीरज गोस्व
मुझे मालूम है मैं फूल हूँ झर जाऊँगा इक दिन, मगर ये हौसला मेरा है हरदम मुस्‍कुराता हूँ -- नीरज गोस्व
तुम्हीं ने मुझे प्यार करना सिखाया, तुम्हीं अब मुझे भूल जाना सिखा दो।
दोस्त! तू जो बेवफा हो जाएगा, ‍ज़िंदगी में क्या नया हो जाएगा।
दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँखें, रौशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता।
दिनभर की मशक्कत से बदन चूर है लेकिन, माँ ने मुझे देखा तो थकान भूल गई है - मुनव्वर राना
भेजे गए फरिश्ते हमारे बचाव को, जब हादसात माँ की दुआ से उलझ पड़े - मुनव्वर राना
थक सा गया है मेरी चाहतों का वजूद, अब कोई अच्छा भी लगे तो हम इज़हार नहीं करते - अज्ञात
बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ, उठाया गोद में माँ ने तो आसमान छुआ - मुनव्वर राना