ज़िंदगी ताश के पत्तों की तरह है मेरी, और पत्तों को बहरहाल बिखर जाना है - मुनव्वर राना
तेरा एहसान कोई क्यूँ झेले, साँस लेना ही ज़िंदगी है अगर, ऐसी इस ज़िंदगी को तू ले ले - अज़ीज़ अंसारी
देख शिकारी तेरे कारण एक परिंदा टूट गया, पत्थर का तो कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन शीशा टूट गया - मुनव्वर रा
समझो कि सिर्फ जिस्म है और जाँ नहीं रही, वो शख़्स जो कि ‍ज़िंदा है और माँ नहीं रही - मुनव्वर राना
इश्क कीजै सरेआम खुल कर कीजै, भला पूजा भी कोई छिप छिप के किया करता है - नामालूम
ये सोच कर के तेरा इंतज़ार लाज़िम है, तमाम उम्र घड़ी की तरफ़ नहीं देखा - मुनव्वर राना
हर बुराई को अपनी ठुकरा कर, दूसरों में भी देख अच्छाई, खुद में भी खूबियों को पैदा कर - अज़ीज़ अंसा
घर का बोझ उठाने वाले बच्चे की तकदीर न पूछ, बचपन घर से बाहर निकला और खिलौना टूट गया - मुनव्वर राना
देख शिकारी तेरे कारण एक परिंदा टूट गया, पत्थर का तो कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन शीशा टूट गया - मुनव्वर र
तेरा एहसान कोई क्यूँ झेले, साँस लेना ही ज़िंदगी है अगर, ऐसी इस ज़िंदगी को तू ले ले - अज़ीज़ अंसारी
आदमीयत की हद को तुम छू लो, भूल जाओ अगर करो एहसाँ, कोई एहसाँ करे तो मत भूलो - अज़ीज़ अंसारी
कोई अब तक न ये समझा कि इंसाँ, कहाँ जाता है, आता है कहाँ से - मोमिन
तबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में, तो ऎसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं-------फ़िराक़
प्यार में अब यकीं नहीं मिलता, जिस्म ही आदमी का मिलता है, जिस्म में कहीं दिल नहीं मिलता - अज़ीज़ अ
बहुतों की यादों में आने लगा हूँ, क्या तेरे दिल को भी मैं भाने लगा हूँ - बिछुड़ा
है जुर्म मोहब्बत तो सजा क्यूँ नहीं देते, मुजरिम हूँ तो सूली पे चढ़ा क्यूँ नहीं देते - रजा शर्फी
उनका करम है, उनकी मेहरबानी, क्या मेरे नग़मे, क्या मेरी हस्ती - जावेद अख़्तर
मोतियों को अगर जो पाना है, सतहा पर तैरने से क्या होगा, तुझको गहराइयों में जाना है - अज़ीज़ अंसारी
फूल बिखरे हुए हैं राहों में , जब से वह मुझको मिल गया है अज़ीज़, सारी दुनिया है मेरी बाँहों में - अज़
काँटों से गुजर जाना, शोलों से निकल जाना। फूलों की बस्ती में जाना तो सँभल जाना।।