अक्ल पे हमको नाज बहुत था लेकिन ये कब सोचा था, इश्क के हाथों ये भी होगा लोग हमें समझाएँगे।
दिल को क्या देखेगा चीर के क्या है इसमें, अब तो कतरा भी नहीं खूँ का रहा इसमें - ज़ौक
ये क्या किया कि वक्ते मुकर्रर पे आ गए, तुमने तो इंतजार की लज्जत ही छीन ली।
‍ज़िक्र से तेरे अन्जुमन महके, ऐ शहीदे वतन क़यामत तक, तेरी मिट्‍टी तेरा कफ़न महके - अज़ीज़ अंसारी
मेरे अपनों ने भी दग़ा की है, फिर भी इज्ज़त से जी रहा है अज़ीज़, ये इनायत मेरे खुदा की है - अज़ीज़
कब्र तक पहुँचाने वाले अदा करते हैं शुक्रिया हम, इस मंजिल से आगे अकेले ही चले जाएँगे हम - नामालूम
मुसीबत सरहदों पर सर उठाती है तो माँओं के, उतरकर सर से हाथों में दुपट्‍टे फैल जाते हैं - क़मर साक़ी
मेरी उलझी हुई दुनिया को सजाने वाला, काश आए मेरी नींदों को चुराने वाला। आज तन्हाई में देखा तो हुआ अ...
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का, उसी को देख के जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले - ग़ालिब
रास्ते पे न बैठो हवा तंग करेगी बीते हुए लम्हों को सदा तंग करेगी। किसी को न लाओ दिल के करीब इतना ज...
कितने पुरकैफ़ थे ये नज्ज़ारे तेरे जाने के बाद ऐ हमदम फूल भी बन गए हैं अंगारे - अज़ीज़ अंसारी पुर
आज तक आपने तितलियों को फूलों और कलियों के ऊपर मँडराते देखा होगा। फूलों का रस चूसने आई हैं या अठखेलि...
ये संसद है यहाँ भगवान का भी बस नहीं चलता, जहाँ पीतल ही पीतल हो बहाँ पारस नहीं चलता - मुनव्वर राना
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा - बशीर बद्र
दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों-मील आती हैं कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है - मुनव्वर राना
क्या पता कब, कहाँ से मारेगी बस, कि मैं जिंदगी से डरता हूँ मौत का क्या है, एक बार मारेगी
किसी बेवफा की खातिर ये जुनूँ फराज़ कब तक, जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ - अहमद फराज़
उसके तसव्वुरात में खोया हुआ हूँ मैं, वो भी मेरे ख्याल में डूबा हुआ तो है।
चले हो तुम जिसके पीछे दीवानावार अनवर, अगर न देखे तुम्हें वो मुड़कर तो क्या करोगे।