तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं, किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं ------ फ़ैज़
एक मुद्दत से तेरी याद भी आई नहीं हमें, और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं -----फ़िराक़ गोरखपुरी
ज़ुबाँ पर बेखुदी में नाम उसका आ ही जाता है, अगर पूछे कोई ये कौन है बतला नहीं सकता।
साथ तेरे जो दिन गुज़ारे हैं, वो फ़क़त गुज़रे माहोसाल नहीं, मेरी तन्हाई के सहारे हैं - अज़ीज़ अंसारी
अक्ल पे हमको नाज बहुत था लेकिन ये कब सोचा था, इश्क के हाथों ये भी होगा लोग हमें समझाएँगे।
रोज़ मय पी है, तुम्हें याद किया है लेकिन, आज तुम याद न आए, ये नई बात हुई - मख़मूर सईदी
दिल ने मजबूर कर दिया होगा, जिससे मिलना न था उसी से मिले - मख़मूर सईदी
कोई शहर ऐसा भी दुनिया में बनाया जाए, जिसमें सिर्फ़ अहले-मुहब्बत को बसाया जाए - कैफ़ मुरादाबादी
ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया, जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया - शकील बदायूँनी
हुआ है और न होवेगा कोई पैदा ख़ुदाई में, वफा में कोई मुझसा और तुमसा बेवफाई में - ज़ौक
जितने लिखे थे गीत, वो अश्कों में ढल गए, सारा जहाँ बदल गया, तुम क्या बदल गए - ओंकार गुलशन
तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही, तू नहीं और सही, और नहीं और सही - दाग़
तुमको चाहा तो ख़ता क्या है बता दो मुझको, दूसरा कोई तो अपना-सा दिखा दो मुझको - दाग़
एक दिन ये वाक़या होना ही था, दिल हमारा आपका होना ही था - गुलशन मदान
कैसे कहूँ कि दिल को तेरी आरज़ू नहीं, ये और बात है कि मेरी किस्मत में तू नहीं।
लबों पे आह दिल में दर्द और आँख में पानी है, मुहब्बत करने वालों की बस इतनी-सी कहानी है।
यूँ तो सारी उम्र गुज़री यार अपनी दरबदर, हाँ जो तेरे साथ गुज़रा वो सफर अच्छा लगा।
हमारी नींदें भी उड़ चुकी हैं, सनम भी करवट बदल रहे हैं, उधर भी जागा है प्यार दिल में, उधर भी अरमां मच
एक लम्हे में कटा उम्र भर का फासला, मैं अभी आया हूँ तस्वीरें पुरानी देखकर।
मंज़र तुम्हारे शहर के जब याद आएँगे, दिल पर लगेगी चोट मगर मुस्कुराएँगे।