डूबा हो जब अंधेरे में हमसाए का मकान,
अपने मकाँ में शम्मा जलाना गुनाह है।
अन्दाज़ अपना देखते हैं आइने में वो,
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो-------निज़ाम रामपुरी
मैं उसकी चाहतों को नाम कोई दे नहीं पाया,
कि जाने से बिगड़ता है न जाने से बुलाता है - मुनव्वर राना
कोई नाम ओ निशाँ पूछे तो ए दाग़ बता देना,
तखल्लुस दाग़ है और आशिक़ों के दिल में रहते हैं - दाग़
मेरा दिल कुछ मुझे समझा रहा है,
मैं कुछ दिल को नसीहत कर रहा हूँ -शे'री भोपाली
तुझे भूल जाना तो है ग़ैरमुमकिन,
मगर भूल जाने को जी चाहता है - जिगर
निगाह ए यार का क्या है हुई हुई न हुई,
ये दिल का दर्द है प्यारे गया गया न गया --- फ़राज़
बस तेरी मोहब्बत में चला आया हूँ वरना,
यूँ सब के बुला लेने से 'राना' नहीं आता - मुनव्वर राना
तुझ से नहीं मिलने का इरादा तो है लेकिन,
तुझसे न मिलेंगे ये क़सम भी नहीं खाते - राना
रोया करेंगे आप भी बरसों इसी तरह,
अटका कहीं जो आपका दिल भी मेरी तरह - मोमिन
उसको रुखसत तो किया था, मुझे मालूम न था,
सारा घर ले गया, घर छोड़ के जानेवाला - निदा फ़ाज़ली
ऊपर वाले तेरी दुनिया कितनी अजब निराली है,
कोई समेट नहीं पाता है किसी का दामन खाली है - पं. सुरेश नी
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है - मुनव्वर
मैं ज़िंदगी तो कहीं भी गुज़ार सकता हूँ,
मगर बग़ैर तुम्हारे नहीं गुज़रती है - मुनव्वर राना
किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझसे ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ - अहमद फ़राज़
माना कि मुहब्बत का छुपाना है मुहब्बत,
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ - अहमद फ़राज़
ये सारे शहर में दहशत सी क्यूँ है,
यकीनन कल कोई त्योहार होगा - राजेश रेड्डी
मुझे तो सच्ची यह एक बात लगती है,
के माँ के साये में रहिये तो रात लगती है - मुनव्वर राना
बात जो थी गौतम-ओ-मूसा में,
आजकल क्यूँ नहीं फ़रिश्तों में - विलास पंडित 'मुसाफिर'