अपने हर लफ्ज़ का खुद आईना हो जाऊंगा, उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा, सारी दुनिया की नजर में...

अब भी उसी की याद

शनिवार, 7 मई 2011
अब भी उसी की याद थपकती है मेरे ख्वाब, उसने बिछुड़ के भी मुझे तन्हा नहीं किया।

लोग अच्छे ज़माना अच्छा है

बुधवार, 13 अप्रैल 2011
बच्चा-बच्चा जहाँ में सच्चा है, भूल जा आदमी खराब हैं कुछ, लोग अच्छे ज़माना अच्छा है - अज़ीज़ अंसारी
दिखाती हैं हमें मजबूरियाँ ऐसे भी दिन अक्सर, उठानी पड़ती हैं फिर से हमें फेंकी हुई चीजें।

सीखिए खुद से मशवरा करना

बुधवार, 23 मार्च 2011
आप ही अपने काम आएँगे, सीखिए खुद से मशवरा करना - नामालूम।

रूठने को तो चले रूठ के हम

बुधवार, 23 मार्च 2011
रूठने को तो चले रूठ के हम उनसे भले, मुड़ के तकते थे के अभी कोई मनाकर ले जाए।

आज तुम याद न आए

बुधवार, 23 मार्च 2011
रोज मय पी है तुम्हें याद किया है लेकिन, आज तुम याद न आए, ये नई बात हुई।

ना सुनो गर बुरा कहे कोई

बुधवार, 23 मार्च 2011
ना सुनो गर बुरा कहे कोई, ना कहो, गर बुरा करे कोई - ग़ालिब

जान लेने का हक नहीं वरना...

बुधवार, 23 मार्च 2011
जान लेने का हक नहीं, वरना तीर तो मेरे कमान में भी था, फैसले हमेशा सच के पक्ष में होते हैं, मैं अब त...
मेरा दिल मुझे कुछ समझा रहा है, मैं कुछ दिल को नसीहत कर रहा हूँ - शेरी भोपाली

एक आँसू भी नजर आए

बुधवार, 23 मार्च 2011
मेरी आँखों को वो बीनाई अता कर मौला, एक आँसू भी नजर आए समंदर मुझको - मुनव्वर राना

समझ लेना के होली है

सोमवार, 21 मार्च 2011
अगर महसूस हो तुमको कभी, जब साँस लो 'नीरज', हवाओं में घुला चन्दन, समझ लेना के होली है - नीरज गोस्वा

होली है तो आज शत्रु को

शनिवार, 19 मार्च 2011
जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो, होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो! - हरिवंशराय बच्चन
सारी बस्ती सुला के आई है, ऐसा लगता है जैसे याद उसकी, सारी दुनिया भुला के आई है।

जो मिले उसके संग होती है

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011
जो मिले उसके संग होती है, ज़िंदगानी अज़ीज़ बच्चों की, जैसे पानी का रंग होती है।

वो सदा कामयाब होते हैं

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011
आप अपना जवाब होते हैं, जिनमें होती है दूरअंदेशी, वो सदा कामयाब होते हैं - अज़ीज़ अंसारी
मैं हर लम्हे में सदियाँ देखता हूँ, तुम्हारे साथ इक लम्हा बहुत है - बशीर बद्र

अगर उनका वादा वफ़ा हो गया

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011
जिएँगे फिर ऐ दिल, किस उम्मीद पर, अगर उनका वादा वफ़ा हो गया।
इतनी हिम्मत इतनी ताक़त दी है ख़ुदा ने 'अज़ीज़', दुनिया भर के भेद सभी पर खोले मेरी ग़ज़ल - अज़ीज़ अंस
सिर्फ़ ज़र्रा हूँ अगर देखिए मेरी जानिब, सारी दुनिया में मगर रोशनी कर जाऊँगा।