ग़ालिब के ख़त

आज मुझको बड़ी तशवीश है। और यह खत मैं तुमको कमाल सरासीमगी में लिखता हूँ। जिस दिन मेरा ख़त पहुँचे, अगर...
परसों तुम्हारा ख़त आया। हाल जो मालूम था, वह फिर मालूम हुआ। ग़ज़लें देख रहा था। आज शाम को देखना तमाम ...
कोल में आना और मुंशी नबी बख्श साहिब के साथ ग़ज़ल ख़ानी करनी और हमको याद न लाना। मुझसे पूछो कि मैंने ...

ग़ालिब के पत्र-भूमिका

बुधवार, 16 जुलाई 2008