मां पर कौन पढ़ता है कविता, कहानी या अन्य साहित्य। पत्नी या प्रेमिका का स्वार्थपूर्ण प्रेम लोगों को पसंद हो सकता है, लेकिन मां का नि:स्वार्थ प्रेम आज की पीढ़ी को पसंद नहीं। उनके दिल में मां के प्रति संवेदनाएं नहीं हैं क्योंकि हमारी शिक्षा और हमारा समाज मां के महत्व को नहीं समझाता। फिल्मों में मां का किरदार रस्म अदायगी भर का ही होता है क्योंकि सारी फिल्में प्रेमिका और प्रेमी के आसपास ही घूमती रहती हैं।
1. मां तुम्हारी चाय बनाने के लिए है। मां सिर्फ खाना बनाने के लिए है। मां तुम्हारे कपड़े प्रेस करने के लिए है। तुम घूमते रहते हो दुनियाभर में अपने ऐशो-आराम के लिए, लेकिन मां घर में तुम्हारे सामान को जमाती रहती है और तुम्हारी तरक्की के लिए कामना करती रहती है। तुम्हें घर में चाहिए ऐसा जो तुम्हारे घर की देखभाल कर सके।
2. कभी तुमने देखा कि बर्तन मांजते-मांजते उसके हाथ बठरा गए हैं। बटन टांकते-टांकते आंखों में मोतियाबिंद हो गया है लेकिन तुम्हें अभी फुरसत नहीं है डॉक्टर के पास जाने की। दो दिन से उसे चक्कर आ रहे हैं, तुमने ग्लुकोज पीने की सलाह देकर मामला टरका दिया, क्योंकि तुम अपनी पत्नी के साथ मनाली घूमने की प्लानिंग बना रहे हो।
3. तुम्हें मालूम है कि तुम्हारी खुशियों के लिए मांगी गई मन्नतों को पूरा करने के लिए पिछले तीन साल से मां मथुरा-वृंदावन के दर्शन करने का कह रही है या हज के लिए ख्वाजा साहिब से मन्नतें मांग रही है, लेकिन हर बार तुमने कह दिया कि अभी ऑफिस में बहुत काम है, अभी गर्मी बहुत है या इस साल तंगी है, राजू के स्कूल की फीस जमा करनी है, जबकि तुम सालभर में चार-पांच छोटे-छोटे टूर करते रहे हो।
4. मां ने तुम्हें नौ माह गर्भ में रखा। जन्म की पीड़ा सही और जब तक तुमने होश नहीं संभाला तब तक तुम्हारी सेवा की लगभग 7 वर्ष की उम्र तक मां दे तुम्हारी हर तरह सेवा की और जब होश संभाल लिया तब भी वह तुम्हारे विवाह तक तुम्हारी सेवा ही करती रही, परंतु जब वह वृद्ध हो चली तो उसके अंतिम वर्षों में तुमने उसके लिए क्या किया। तुम तो अपने पत्नी और बच्चों के साथ सेटल्ड हो गए। फोन पर ही हालचाल पूछकर फर्ज निभा लिया।