प्रथमेश व्यास
पालने में झुलाने से, पहला निवाला खिलाने तक
रोना बंद कराने से, बैठना-चलना सिखाने तक
मेरी मां मेरे हर पल में साथ है...
मेरा टिफ़िन बनाने से, मुझे काबिल बनाने तक !
तुझसे ही तो सीखा था पहला शब्द अपना ,
तेरी गोदी में ही तो देखा था वो सुनहरा सपना
मेरी मां सब तूने ही सिखाया है...
चाहे वो पढ़ना हो या बड़ों का मान रखना।
कैसे मेरी ऊंगली पकड़कर मुझे स्कूल ले जाती थी ,
कैसे सोते वक्त सहलाती-लोरी सुनाती थी
मेरी मां मुझे आज भी याद है ...
कैसे तू बाबा से लड़कर मुझे खिलौने दिलाती थीं
गर्मी में तू आम खिलाती, सर्दी में स्वेटर बुनती है
कोई सुने या ना सुने, तू बात मेरी हर सुनती है
मेरी मां तू मूरत प्रेम की ...
तेरे उपकारों की नहीं कोई गिनती है
तेरी बदौलत ही जनम पाया है
तुझसे ही साहस-संबल आया है
मेरी मां तेरा शुक्रिया ...