'मैं कुछ गरीब चींटियों का भविष्य संवारकर नए वर्ष की शुरुआत करना चाहती थी, सो मैंने सवेरे से पहले यही काम किया। मैंने सोचा नए वर्ष की इससे अच्छी शुरुआत भला और क्या हो सकती है? गौरेया ने सफाई दी। 'नन्ही-सी चिड़िया और सोच कितनी बड़ी। इससे हमें भी कुछ सीखना चाहिए। कुछ क्या, हमें भी हंसने-गाने, बाजा बजाने, पकवान-मिठाई खाने से पहले किसी असहाय, लाचार, गरीब की मदद करने का काम जरूर करना चाहिए। अभी भी वक्त गुजरा नहीं है। चलो, आओ, सबके सब किसी मजबूर का भविष्य संवारने के लिए जुट जाओ।