प्रहरी ने बड़ी ही विनम्रता से कहा, बहुत लग रही है सम्राट परंतु क्या करूं। गर्म वर्दी है नहीं है मेरे पास, इसलिए सहना को करना ही पडेगी।।
सम्राट भीतर गया और किसी काम में उलझकर भूल ही गया कि उसे प्रहरी के लिए गर्मी वर्दी भेजना है। प्रात: काल उस द्वार पर उस बूढ़े प्रहरी की अकड़ी हुई लाश मिली और पास ही भूमि की मिट्टी पर उसकी अंगलियों से लिखी गई ये सीख भी, सम्राट दीर्घायु हों! वे हमेशा तरक्की करें। मैं कई वर्षों से सर्दियों में इसी पतलीसी वर्दी में पहरा दे रहा था। परंतु कल रात आपके द्वारा गर्म वर्दी देने के वादे ने मेरी जान निकाल दी।