भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव में यूथ वोटर्स विनिंग फैक्टर माना जा रहा है। इस बार चुनाव में 15 लाख ऐसे वोटर हैं, जो पहली बार अपना वोट डालेंगे, वहीं 29 साल तक के वोटर्स की बात करें तो इनकी संख्या 1.50 करोड़ के करीब है। ऐसे में राजनीतिक दल यूथ वोटर्स को रिझाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।
लेकिन यूथ वोटर्स को रिझाने के लिए तमाम दावे करने वाले सत्तारूढ़ दल भाजपा संगठन ने अपने यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक भी नेता को चुनावी मैदान में नहीं उतारा। ऐसा नहीं है कि युवा मोर्चा के नेता टिकट के दावेदार नहीं थे। मोर्चा के कई वर्तमान और पूर्व नेता टिकट की रेस में थे। युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष और जबलपुर से आने वाले नेता धीरज पटैरिया तो टिकट नहीं मिलने पर अब बागी होकर चुनावी मैदान में हैं।
भाजपा ने एक ओर तो युवा मोर्चा से जुड़े नेताओं को टिकट नहीं दिया है, वहीं दूसरी ओर बड़े नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। इसमें मंत्री गौरीशंकर शेजवार और हर्ष सिंह के बेटों के साथ ही कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू के बेटे, अजीत बौरासी के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को टिकट दिए जाने का विरोध भी शुरू हो गया है। पार्टी में वंशवाद के नाम पर नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिए जाने से टिकट की आस लगाए युवा नेता अपने को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार अपने युवा नेताओं पर पिछले चुनाव की तुलना में अधिक भरोसा दिखाया है। पार्टी ने अपनी यूथ विंग एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष विपिन वानखेड़े को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी को भी पार्टी ने मौका देकर कालापीपल से टिकट देकर चुनावी रण में उतारा है।