जबलपुर निवासी संजीव कुमार पांडे की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि अपशिष्ट पदार्थ अधिनियम की श्रेणी में प्लास्टिक से बनने वाले फ्लेक्स, होर्डिंग व झंडे भी आते हैं। केन्द्रीय प्लास्टिक पदार्थ प्रतिबंधित सूची में भी यह शामिल हैं। इसके बावजूद भी विधासभा चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए इनका उपयोग किया जा रहा है।
एक अनुमान के अनुसार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रतिदिन प्रचार प्रसार के लिए दस टन प्लास्टिक से बने फ्लेक्स, होर्डिंग व झंडे का उपयोग होगा। इतनी भारी मात्रा में प्लास्टिक सामग्री का उत्पादन पर्यावरण की लिए घातक है।
याचिका में कहा गया था कि प्रदेश में प्लास्टिक के बैग का उत्पादन, भंडारण व उपयोग प्रतिबंधित है। सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट ने भी उचित ठहराया था। जब प्लास्टिक के कैरी-बैग का उपयोग प्रतिबंधित है तो प्लास्टिक का उपयोग चुनाव प्रचार सामग्री में क्यों किया जा रहा है।