सांता क्लॉज की चिट्ठी, हम सबके नाम

* स्मृति आदित्य 
 
मेरे प्रिय साथियों, 
मैरी क्रिसमस, 
हर साल मुझे आपके सुख-दुख के 60 लाख से ज्यादा पत्र मिलते हैं। इन पत्रों में खुशबू होती है आपके मीठे प्यार की। कभी आंसू की बरखा होती है, कभी तकलीफों का पिटारा, कभी चहकती खुशियां तो कभी गमगीन दुनिया। हर पत्र के साथ मैं रोता हूं, मुस्कुराता हूं  और कभी-कभी घंटों बैठकर सोचता हूं। सोचता हूं, आखिर एक मानव इस दुनिया में चाहता क्या है? छोटी-छोटी मासूम खुशियां, सच्चा प्यार, अपनों की प्रगति, बड़ों का आशीर्वाद और भरपूर शांति। फिर क्यों आपकी इसी दुनिया में चारों तरफ नफरतों की जंग छिड़ी हुई है। क्यों हर साल बिना किसी गुनाह के सैकड़ों लोग मारे जाते हैं? आप सबके पत्र मुझसे मांगते हैं अपने लिए जिंदगी भर की दुआएं और आज मैं आपसे मांगता हूं पल भर का सुकून। आप सब चाहते हैं आपकी जिंदगी में रौनक रहे, रोशनी रहे और मैं इस क्रिसमस पर आपसे चाहता हूं इस धरती पर शांति का श्वेत उजाला बना रहे। 
 
मैं आपको इस क्रिसमस पर देना चाहता हूं शांति के सफेद कबूतर लेकिन देखता हूं आपके हाथों में उन्हीं का लाल खून। तब तड़प उठती है मेरी आत्मा। इस बार जब आप क्रिसमस ट्री को सजाओं, तो मत भूलना अपने देश के उन नन्हे नौनिहालों को जिनके तन पर जरूरत के कपड़े भी नहीं सजे हैं। जब बनाओं क्रिसमस ड्रायफ्रूट्स केक, तो मत भूलना भूख से बेहाल उन बच्चों को जिन्हें सूखी रोटी भी नसीब नहीं। और जब क्रिसमस पार्टी में सांता यानी मेरा रूप धारण कर झूमों, तो मत भूलना कि खुशियों का पैगाम लाने वाला आपका अपना सांता खुश नहीं है गंदगी में जीवन बिताने वाले हजारों बाल मजदूरों का रूप देखकर। 
 
मैं आपका अपना सांता आज पत्र लिख रहा हूं उन सारे जिम्मेदार और जहीन लोगों के नाम जो मुझसे अब तक सिर्फ और सिर्फ अपने लिए ही उपहार मांगते रहे हैं आज मैं उनसे उपहार चाहता हूं। चाहता हूं कि देखें अपने आसपास के गरीब, बेबस, शारीरिक रूप से अक्षम, अनाथ, मजदूर और मजबूर इंसानों को। और मनाएं क्रिसमस का पावन पर्व उनको एक पल की खुशी का उपहार देकर। 
 
यह ना कर सकें तो इतना तो कर ही सकते हैं कि इस बार खुद को खूबसूरत भावनाओं का उपहार दें कि हम हमेशा बस खुश रहेंगे और खुशियां देंगे। कभी दूसरों का बुरा नहीं चाहेंगे, कभी हिंसा और अहंकार के रास्ते पर नहीं चलेंगे। जब आप खुद ही नेक रास्तों पर चल पड़ेंगे तो स्वयं ही सांता बन जाएंगे। आपके 60 लाख पत्रों में 40 लाख पत्र नन्ही लेखनी से रचे हुए होते हैं। उन पत्रों से छलछलाती मीठी और मासूम आकांक्षाएं पढ़कर मैं पसीज उठता हूं। ये पत्र चाहते हैं उनके माता-पिता कभी अलग ना हों। चाहते हैं, दादा-दादी का साथ बना रहे। 
 
दोस्तों को फीस ना भरने के कारण स्कूल ना छोड़ना पड़े। चाहते हैं दुनिया के सारे चोर सुधर जाए। कभी उनकी इच्छा होती है कि सड़क किनारे बैठें गरीबों पर मैं पैसे की बरसात कर दूं। 
 
यहां तक कि वे चाहते हैं दुनिया के सारे हथियार समुद्र में बहा दिए जाएं और सीमा पर तैनात सारे जवान घर लौट आए। इतने और ऐसे-ऐसे भावुक अनुरोध कि अगर दिल की गहराई से समझे तो एहसास होगा कि मूल रूप से इंसान की कृति कितनी भोली और निश्छल होती है। ना जाने कब, कैसे, कौन सी विकृति उसे डस लेती है कि वह इंसान से हैवान बन जाता है। आप सच्चे मानव बने रहे और मानवता को बना रहने दें यही मेरी इस क्रिसमस पर सच्ची शुभकामनाएं हैं। 
 
और आप इस क्रिसमस पर दीजिए मुझे बस एक उपहार, धरती पर बना रहे आपस में प्यार। मैरी क्रिसमस-हैप्पी क्रिसमस! 
 
हमेशा आपका 
सांता 

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