गुजरात में बगैर गरबे की नवरात्रि न कभी देखी न सुनी..इस वर्ष मां चाचर चौक में नहीं पधारीं..शहर सूना.. गरबा ग्राउंड सूने..रातें सूनी..
वरना यहां तो नवरात्र के चार महीने पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है.. कि कोई गुज्जू जब चाचर चौक पर कदम रखता है तो हर उदासीनता तिरोहित कर देता है..जब मां के इर्दगिर्द घूमता है तो हर मनोमालिन्य उनके चरणों में अर्पित कर देता है..
कि उसकी उमंग का खुमार है गरबा ..उसकी आस्था का परिचय है गरबा..वर्ष भर इस महायज्ञ के आयोजन का इंतजार है गरबा..
नौ दिन मन के हर रंग की अभिव्यक्ति का नाम है गरबा..