माना कि दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और चंडीगढ़ में सुरक्षित साइकिल लेन का निर्माण किया गया है। हाल ही में उत्तरप्रदेश में भी एशिया का अभी तक का सबसे लंबा साइकिल हाइवे बना है, जिसकी लंबाई दो सौ किलोमीटर से कुछ ज्यादा ही है। हालांकि देष में अभी भी साइकिल चालकों के अनुपात में साइकिल लेन विकसित किए जाने की प्रबल आवश्कता है। इसके साथ ही सड़कों को अतिक्रमण और अवैध पार्किंग से भी मुक्ति दिलाना बेहद ज़रूरी है। इस अवधारणा पर अलग से किसी खास विमर्श की आवश्यकता नहीं है कि सड़क पर पहला अधिकार पैदल चलने वाले का ही है और दूसरा अधिकारी साइकिल सवार ही होना चाहिए, लेकिन भारत भाग्य विधाताओं द्वारा हाइवे-निर्माण को दी जा रही प्राथमिकता खेद का विषय है, जबकि चीन ने साइकिल को, अपने समाज-रचना की परिचायक और उसके तकनीकी-विकास को पहचान से जोड़ दिया है। विष्व-पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से देखा जाए तो साइकिलों का लौटना एक शुभ संकेत है।