शिबन कृष्ण रैणा
भारत एक विशाल देश है जहां विभिन्न धर्मों व संप्रदायों को मानने वाले लोग रहते हैं। अत: यहां मनाए जाने वाले त्यौहार और पर्व भी अनेक हैं। ये त्यौहार जहां हमारे जीवन में आनंद, उमंग और उत्साह का संचार करते हैं, वहीं हमारी अद्भुत, अनमोल और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी रेखांकित करते हैं। वैसे तो प्रत्येक त्यौहार का अपना एक विशेष महत्व होता है, परंतु इन सब में दीपावली का त्यौहार अपनी एक अलग ही पहचान रखता है।
दीपावली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है। यह हमें समाज में फैली अनेक बुराइयों के अंधकार को समाप्त कर अच्छाइयों के प्रकाश की ओर ले जाने हेतु प्रेरित करता है। यह जन-जन का पर्व है। छोटे-बड़े, धनी-निर्धन सभी इस पर्व को पूरे उत्साह से मनाते हैं। इस दिन हमें यह निश्चय करना चाहिए कि हम केवल बाहर के प्रकाश पर ही ध्यान न दें अपितु अपने हृदय में भी सद्गुणों को आलोकित करें तथा यह प्रयास करें कि इस संसार में जहां कहीं भी गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा एवं बुराइयों का अंधेरा है, वह दूर हो। हमें ये पंक्तियां सदा याद रखनी चाहिए- दिये जलाओ पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न पाए।
दीपावली का प्रकाशोत्सव हमें सद्भावना, सदाचार एवं मेल-मिलाप का संदेश देता है। इसे पूर्ण निष्ठा, पवित्रता एवं उचित ढंग से मनाया जाना चाहिए ताकि कोई अप्रिय घटना न हो एवं चारों ओर खुशियों एवं उल्लास का वातावरण बना रहे। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विचार करें तो दीपावली अंधकार-मुक्ति का पर्व है। मनुष्य के अंदर अज्ञानरूपी अंधकार का निवास है। दीपक आत्म-ज्योति का प्रतीक है जिसे जलाकर मनुष्य अपने अन्तस् को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित कर सकता है, जिससे उसके मन-प्राण पुलकित हो उठें।