इन सब मामलों में जागरूकता और विवेक एक मात्र विकल्प है।कई बार हमारे पास ट्रेप्ड व्यक्ति हताशा,कुंठा और आत्महत्या तक के विचार लिए हुए आते हैं। परेशानी बढ़ने पर उचित संवाद और कानून की मदद लेने से हिचकना नहीं हैं।
नोट : आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया का आलेख में व्यक्त विचारों से सरोकार नहीं है।