अमेरिका अब यह शान से दावा करने की स्थिति में है कि दुनिया के दो सबसे बड़े आतंकवादी और दुनिया भर में हजारों बेगुनाह को मौत की घाट उतारने, लाखों जेहादी आतंकवादियों के लिए प्रेरणास्रोत ओसामा बिन लादेन तथा अबु बक्र अल बगदादी को तलाश कर मार डाला। इस बीच उसने अन्य नामी आतंकवादियों को भी मौत के घाट उतारा जिसमें मुल्ला उमर से लेकर ओसामा का बेटा हमजा बिन लादेन भी है। किंतु 2 मई 2011 को ओसामा और अब 27 अक्टूबर को बगदादी को मार डालना इतिहास का ऐसा अध्याय है जिसे आतंकवाद विरोधी युद्ध की सबसे बड़ी सफलता के रूप में याद किया जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टीवी पर लाइव प्रसारण के दौरान बगदादी की मौत की घोषणा पर पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली। इस तरह का क्रूर और बहशी आतंकवादी सरगना दुनिया ने इससे पहले न देखा न सुना था। ट्रम्प ने कहा कि बगदादी अमेरिकी ताकत के डर से चीखते-चिल्लाते हुए कुत्ते की मौत मारा गया। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी ओसामा के मारे जाने के बाद घोषणा किया था कि न्याय किया जा चुका है। यह दोनों की शब्दावलियों में अंतर है। जो जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति ने दी उसके अनुसार बगदादी ने अमेरिकी सेना को आते देख अपने ठिकाने के नीचे खुदी सुरंग से भागने की कोशिश की। उसने साथ में अपने तीन बच्चों को भी ले लिया। इस दौरान सैनिकों और सैन्य कुत्तों ने उसका पीछा किया। सुरंग में जब उसे रास्ता नहीं मिला, तो उसने आत्मघाती जैकेट को विस्फोटित कर लिया। इसमें उसकी और उसके तीनों बच्चों की मौत हो गई।
जैसा ट्रम्प ने बताया बगदादी को मारने के लिए सीरिया के इदलिब प्रांत में हेलिकॉप्टर, विमानों और ड्रोन्स के कवर में स्पेशल फोर्सेज को जमीन पर उतारा गया। अमेरिका के एक भी सैनिक को क्षति न पहुंचने का अर्थ था कि विरोध बड़ा नहीं था। ओसामा को जब पाकिस्तान के ऐबटावाद में नेवी सील के जवानों ने उसके सुरक्षित तीन मंजिले घर में उतरकर मारा था तो वहां भी विरोध के लिए कोई नहीं था। अमेरिका ने बगदादी पर 2.5 करोड़ डॉलर (177 करोड़ रुपए) का इनाम रखा था। हालांकि इसके पहले भी ऐसे कम से कम आठ बार उसे मारे जाने की बात की गई थी। हर बार का दावा गलत निकला।
अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने 22 जुलाई 2017 को उसके मारे जाने के दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘मेरा मानना है कि बगदादी जिंदा है और मैं तभी मानूंगा कि उसकी मौत हो गई है, जब हमें पता चलेगा कि हमने उसे मार दिया है। सबसे अंतिम दावा रुस ने जून 2017 में किया था कि सीरिया के रक्का के नजदीक 28 मई को बगदादी की एक बैठक पर उसने हमला किया था, जिसमें संभवतः बगदादी मारा गया था।
मैटिस की बात सच निकली जब 28 सितंबर 2017 को आईएस ने अल बगदादी का 45 मिनट का ऑडियो जारी किया। लेकिन इस बार संदेह की गुंजाइश नहीं है। इसी वर्ष श्रीलंका के क्राइस्ट चर्च में 21 अप्रैल को हुए धमाकों के बाद बगदादी का एक वीडियो जारी हुआ था। इसके पूर्व सार्वजनिक रूप में वह सिर्फ एक बार जुलाई 2014 में मोसुल के अल-नूरी मस्जिद में नजर आया था। उसने इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के जन्म की घोषणा की थी। अब बगदादी का हिंसा और विनाश का ऑडियो या वीडिया कभी नहीं आएगा। यह आतंकवाद विरोधी युद्ध की अब तक की सबसे बड़ी सफलता है।
अल-बगदादी दुनिया का सबसे वांछित आतंकवादी-अपराधी था। हालांकि 2017 से इस खूंखार आतंकवादी के पैर उखड़ने लगे थे। 28 जून 2017 को इस्लामिक स्टेट ने मोसुल की प्रसिद्ध झुकी हुई मीनार और उससे जुड़ी उस नूरी मस्जिद को विस्फोट कर उड़ा दिया जिसमें वर्ष 2014 में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए अल बगदादी ने खुद को खलीफा घोषित किया था। यह मोसूल का इलाका था जिसे आईएस के कब्जे से छुड़ाने के लिए इराकी सेना संघर्ष कर रही थी। 9 दिसंबर 2017 को इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने इस्लामिक स्टेट को इराक से पूरी तरह खदेड़ने का दावा किया था और यह सच था। उसके बाद 23 मार्च को सीरिया में अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सेना ने, जिसे अमेरिकी समर्थक बल भी कहा जाता है घोषणा कर दी कि आईएस के कब्जे से अंतिम क्षेत्र को मुक्त करा लिया गया है।
एसडीएफ़ ने ऐलान किया कि सीरिया में पांच साल पहले घोषित खि़लाफ़त को अंततः नष्ट कर दिया गया है। लेकिन जब तक अल बगदादी जिंदा था इसे पूर्ण विजय नहीं माना जा सकता था। अमेरिका को अफगानिस्तान पर हमला करने के बाद लादेन को तलाशने में साढ़े नौ वर्ष लग गए थे। इसी तरह यह माना जाने लगा था कि बगदादी की तलाश करना भी आसान नहीं होगा। किंतु दोनों में अंतर था। लादेन को पाकिस्तान में अत्यंत ही सुरक्षित जैसा ठिकाना मिल गया था। बगदादी को किसी देश में ठिकाना नहीं मिल सकता था। सीरिया में ही उसके होने की संभावना थी।
अल बगदादी इराक में अमेरिकी विजय के खिलाफ संघर्ष कर रहे अल कायदा का ही प्रमुख था। अल कायदा से अलग उसने 2006 में आईएसआई यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक नाम से संगठन बनाकर अकेले कब्जा करने पर काम शुरू किया। इसमें वह सफल नहीं हुआ। उसे सद्दाम हुसैन काल के सेना के कुछ लोग मिल पाए थे। हालांकि उसने जिस तरह पुलिस, सेना से जुड़े ठिकानों पर हमला करना शुरू किया और उसकी खबरें फैलने लगी, मुस्लिम युवाओं का उसकी ओर आकर्षण व झुकाव हुआ और भारी संख्या में लड़ाके शामिल होने लगे। लेकिन उसकी कल्पना बड़ी थी।
मध्यकालीन इस्लामी साम्राज्य की स्थापना जिसका प्रमुख खलीफा हो। सीरिया में गृह युद्ध आरंभ हो चुका था। उसने संगठन का नाम आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया कर दिया। वहां फ्री सीरियान आर्मी या एफएसए को अमेरिका और उसके साथी देशों की सहानुभूति तथा हल्का सहयोग प्राप्त था। जून 2013 में एफएसए ने अपनी पराजय देख अपील की कि उसे हथियार और अन्य संसाधन दिया जाए। उसके बाद अमेरिका, इजरायल, जॉर्डन, तुर्की, सऊदी अरब और कतर ने उसे को हथियार, धन और सैन्य प्रशिक्षण की सहायता देनी आरंभ की।
आधुनिक हथियार, एंटी टैंक मिसाइल, गोला-बारूद सब कुछ दिया गया। इन देशों को यह पता ही नहीं चला कि आईएसआईएस एफएसए के साथ है। इन्हीं हथियारों, संसाधनों और प्रशिक्षणों की बदौलत बगदादी ने सीरिया और इराक के एक बड़े हिस्से को कब्जे में ले लिया। ऐसा लगता ही नहीं था कि इराक और सीरिया बगदादी के भयानक कब्जे से कभी मुक्त हो पाएगा। किंतु मोसूल और रक्का दो प्रमुख केन्द्र हाथों से निकलने के बाद यह विश्वास पैदा हुआ कि इसका आधिपत्य खत्म हो सकता है।
अल बगदादी के नेतृत्व वाला आईएस पहला आतंकवादी संगठन था जिसने इराक और सीरिया में 88 हजार वर्ग किलोमीटर तक के इलाके को नियंत्रित किया हुआ था। इराक के 40 प्रतिशत हिस्से पर इसका कब्जा था। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा था जिसका स्रोत अल कायदा था। ओसामा बिन लादेन ने स्वयं को खलीफा घोषित नहीं किया था। बगदादी इसीलिए अल कायदा से अलग हुआ क्योंकि उसकी कल्पना जल्दी से खिलाफत का लक्ष्य हासिल करना था। बगदादी अपने इलाके में उसी तरह शासन, संघर्ष और व्यवहार कर रहा था जैसा हमने मध्यकालीन इतिहास में पढ़ा है।
बगदादी ने कब्जे के दौरान बड़े पैमाने पर नरसंहार करवाया और इनका वीडियो दहशत के लिए सोशल मीडिया पर फैलाया। 2014 में इराक के सिंजार क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद उसका वहशीपन दुनिया के सामने आया जब उसने यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की हजारों महिलाओं और लड़कियों को बंधक बनाया और उन्हें यौन गुलाम बनने के लिए मजबूर किया। बाजार लगाकर उन्हें बेचते हुए वीडियो जारी किया। पंक्तियों में खड़ा कर जिस क्रूरता से वह विरोधियों की हत्याएं करता था उसकी कल्पना मात्र से सिहरन पैदा हो जाती है।
निस्संदेह? इराक और सीरिया से आईएस की पराजय एवं अब अल बगदादी के अंत के साथ आधुनिक दुनिया में क्रूरता के एक अध्याय का अंत हुआ है। इससे जेहादी आतंकवाद को अब तक का सबसे बड़ा धक्का कह सकते हैं। किंतु आतंकवाद का खतरा खत्म हो गया ऐसा मानना गलत होगा। अभी भी आईएस आतंकवादी हैं। आईएस नाइजीरिया से लेकर फिलीपींस तक सक्रिय है। जैसे ओसामा मरने के बावजूद आतंकवादियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है बगदादी का प्रभाव उससे ज्यादा है।
बगदादी ने संघर्ष में अपने प्रवक्ता से लोन वूल्फ यानी अकेले जो भी संसाधन मिले उसी से हमला करने का जो बयान दिलवाया वह पूरी दुनिया में फैल चुका है। अनेक देश उसके शिकार हुए हैं। आईएस के सहयोगी संगठन मिस्र और लीबिया में भी हमले करते रहे हैं। इस तरह खतरा अभी है। हां, बगदादी के मारे जाने के बाद उस तरह का आकर्षण और हिंसा की प्रेरणा का जिंदा स्रोत अवश्य खत्म हो गया है।