सबसे ज्यादा चपेट में है फिल्म और टीवी इंडस्ट्री, उसके बाद राजनीतिक गलियारे और फिर मीडिया के न्यूज रूम.... यह तीनों ही क्षेत्र ऐसे है जो लोकप्रियता की चमक से हर किसी को ललचाते हैं। कड़वा सच है कि अचानक से नेम, फेम और मनी की सुविधा देखते हुए कई उतावली युवतियों ने इसे अनिवार्य मानते हुए हड़बड़ी में इस तरह के फैसले स्वैच्छा से लिए हैं और एक मुकाम पाने के बाद में चाह रही हैं कि किसी #Metoo अभियान के जरिये पुरानी फाइलें निपटा दें... और ऐसे फैसले लेने वाली हर किसी को समाज में साफ नजर में भी आती है लेकिन वही कि 'उनकी पर्सनल लाइफ है' कहकर हर कोई आगे बढ़ जाता है।