फिलीपींस की 'सोशल मीडिया आर्मी'

भारत में 2014 के लोकसभा चुनाव और हाल में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते के बारे में कहा जाता है कि पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने भी सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग किया था। अब दुतेर्ते ने अपनी सोशल मीडिया आर्मी गठित कर ली है, जिसका लक्ष्य है अपनी योजनाओं का प्रचार करना और साथ ही साथ विरोधियों के खिलाफ विषवमन करना। 
दुतेर्ते ने फिलीपींस में नशे के खिलाफ एक अभियान चला रखा है और नशे का कारोबार करने वाले हजारों लोगों को बिना न्यायिक प्रक्रिया के ही सीधे मौत के घाट उतार दिया गया। दुतेर्ते का कहना है कि वे नशे के खिलाफ जंग लड़ने वाले सिपाही हैं और नशे के सौदागरों को खुद ही चुन-चुनकर खत्म कर देना चाहेंगे। इन हत्याओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर आवाजें उठ रही हैं, जिससे खफा होकर दुतेर्ते ने अपनी सोशल मीडिया आर्मी बना ली है। इसे अलग-अलग नाम भी दिए गए है। कोई कहता है कि यह की-बोर्ड ब्रिगेड है, कोई इसे ऑनलाइन आर्मी भी कहता है। 
सोशल मीडिया पर होने वाली अपनी आलोचनाओं से दुतेर्ते बहुत परेशान है। दो दशक से भी अधिक समय तक वे महापौर के पद पर रह चुके हैं और उस दौरान उन्हें सोशल मीडिया के कई अभियानों का शिकार भी होना पड़ा। अपने विदेशी आलोचकों के बारे में वे कहते हैं कि जो विदेशी हमारे देश के बारे में कुछ नहीं जानते, वे ही हमें बदनाम करने का अभियान चलाए हुए हैं। 
 
फिलीपींस में रहकर पत्रकारिता करने वाले सीन विलियम्स फिलीपींस में हो रही सरकारी हिंसा के खिलाफ जब भी सोशल मीडिया पर कुछ लिखते हैं, तब दुतेर्ते की सोशल मीडिया आर्मी उनके खिलाफ वैसे ही शब्दों का इस्तेमाल करती है, जैसे भारत में भक्त मंडली करती है। पत्रकारों का मानना है कि दुतेर्ते जो कुछ कर रहे हैं, मानव अधिकारों का हनन ही कहा जा सकता है। इसके अलावा वे पत्रकारों पर भी हमले करने से बाज नहीं आते। दुतेर्ते ड्रग माफियाओं के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, यह तो अच्छी बात है, लेकिन मानव अधिकारों का हनन उन्हें नहीं करना चाहिए था। 
 
राष्ट्रपति दुतेर्ते को लगता है कि समुद्र से घिरा हुआ उनका देश अंतरराष्ट्रीय षड्‍यंत्रों का शिकार हो रहा है। दूसरे देश ड्रग माफियाओं को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसके कारण फिलिपींस के युवाओं के सामने समस्याएं सामने आ रही हैं। फिलीपींस युवाओं का देश है और वहां के नागरिकों की औसत उम्र केवल 23 साल है। करीब साढ़े दस करोड़ की आबादी वाले फिलीपींस में सोशल मीडिया का उपयोग जमकर होता है। 
 
फिलीपींस में बहुत-सी समाचार वेबसाइट्स नहीं है। सोशल मीडिया का उपयोग ही लोग समाचारों के लिए करते है। वहां से उन्हें प्रमुख घटनाओं की सूचना मिल जाती है। फिलिपींस में वेबसाइट्स लॉगइन करने का भी पैसा लगता है और लोग उस पैसे को बचाना चाहते हैं। राष्ट्रपति दुतेर्ते ने उन लोगों की सेवाएं भी ली है, जो उन्हें सोशल मीडिया पर प्रमोट कर रहे है। 
 
सरकार की तरफ से उन लोगों को नियमित रूप से पैसा भी मिलता है। दुतेर्ते की सोशल मीडिया आर्मी विरोधियों पर पिल पड़ती है और सरकार के पक्ष में इतने संदेश भेजती है कि विरोधी की आवाज छुप जाती है। दुते का कहना है कि उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर जो भी प्रचार किया जा रहा है, उसमें से अधिकांश लोग है ही नहीं। या फर्जी अकाउंट्स से दुतेर्ते के खिलाफ अभियान चला रहे है। वैसे भी सोशल मीडिया पर दुतेर्ते के फॉलोअर्स की संख्या सीमित ही है।
 
राष्ट्रपति दुतेर्ते मानते है कि सोशल मीडिया पर लोग जो भी बातें लिखते हैं, सोशल मीडिया आर्मी से वे उसका तोड़ निकाल सकते हैं। इसके लिए बड़े पैमाने पर सरकारी धन भी खर्च किया जा रहा है, लेकिन राष्ट्रपति को लगता है कि यह सब सरकार का जरूरी खर्च है, क्योंकि इससे सरकार की नीतियों का ही तो प्रचार हो रहा है। 

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