जिस तरह का तर्क भाजपा के क्षेत्रों में चर्चा में है उसके अनुसार, 1984 के चुनावों में भाजपा को सीटें चाहे दो ही मिली थीं, वोट शेयर के मामले में कांग्रेस के बाद वही थी। कांग्रेस का 404 सीटों के साथ वोट शेयर 49.10 प्रतिशत था जबकि भाजपा का दो सीटों के बावजूद 7.74 प्रतिशत। (भाजपा तब 96 सीटों पर पार्टी दूसरे क्रम पर रही थी। इनमें से 84 पर भाजपा ने 1989 में जीत प्राप्त कर ली थी।) तर्क यह है कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर महिला आरक्षण होता तो 1984 में भाजपा की सीटें कहीं ज़्यादा होतीं।