खरा सौदा

- सतमीत कौर

एक बार श्री गुरू नानक देव जी को उनके पिता कल्याणदास जी ने 20 रुपए दिए और कहा बेटा बाजार जाकर खरा सौदा लेकर आना। गुरुजी अपने पिता की आज्ञा मानते हुए 20 रुपए लेकर शहर चले गए। उस समय 20 रुपए की कीमत काफी होती थी। उनके साथ एक साथी भी था।

राह में गुरुजी को कुछ साधु मिले। उन्होंने गुरुजी से कहा कि हमारी मदद कीजिए हमने कई दिनों से कुछ नहीं खाया है। बहुत जोर से भूख लगी है। गुरुजी ने 20 रुपए का अनाज लाकर भोजन तैयार किया और उन साधुओं को खाना खिलाया।

जब गुरुजी घर पहुँचे तो उनके पिता ने कहा कि सौदा लेकर आए हो? तब गुरूजी ने उनको सारी बात बताई। ये सुन कर उनके पिता बहुत नाराज हुए और इस बात के लिए उन्होंने गुरुजी को मारा भी, पर गुरुजी शांत रहे और उन्होंने सिर्फ यही कहा कि भूखे लोगों की सेवा करना, अपने धन को मदद के लिए खर्च करना ही खरा सौदा है।

इस प्रकार गुरुजी ने ये सीख दी कि हमें हमेशा मदद करनी चाहिए भले ही इस अच्छे काम के लिए हमें कष्ट भी सहन करना पड़े पर नेक काम नहीं छोड़ना चाहिए।

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