प्रकाशोत्‍सव और परंपरा

गुरु नानक का प्रकाशोत्‍सव, पर्व यूँ तो पवित्र भावनाओं के साथ मनाया जाने वाला उत्‍सव है। प्रकाशोत्‍सव के दिन किस तरह से परंपराओं का निर्वाह किया जाए, कैसे इस उत्‍सव को मनाया जाए। इसकी जानकारी यहाँ दी जा रही है।

प्रभात बेला में क्या करें : -
* गुरु नानकदेवजी के प्रकाशोत्सव पर सर्वप्रथम प्रातःकाल स्नानादि करके पाँच वाणी का 'नित नेम' करें।
* स्वच्छ वस्त्र पहनकर गुरुद्वारा साहिब जाएँ और मत्था टेकें।
* गुरु स्वरूप सात संगत के दर्शन करें।
* गुरुवाणी, कीर्तन सुनें।
* गुरुओं के इतिहास का श्रवण करें।
* सच्चे दिल से अरदास सुनें।
* अपनी सच्ची कमाई में से 10 वाँ हिस्सा धार्मिक कार्य व गरीबों की सेवा के लिए दें।
* संगत व गुरुघर की सेवा करें।
* गुरु के लंगर में जाकर सेवा करें।

तीन बातों का पालन करें :-

 
गुरु नानक ने सच्चे सिख के लिए यानी अपने शिष्यों से तीन मुख्य बातों का पालन करने के लिए कहा है।

- ईश्वर का नाम जपें

- सच्ची कीरत (कमाई) करें।

- गरीब मार नहीं करें। ( दान करें)

रात्रि में क्या करें :-
गुरु नानकदेवजी का जन्म रात्रि लगभग 1 बजकर 40 मिनट पर हुआ था। अतः इसके लिए रात्रि जागरण किया जाता है। इसके लिए निम्न कार्य करें :-

रात को पुनः दीवान सजता है अतः वहाँ कीर्तन, सत्संग आदि करें।
जन्म के बाद सामूहिक अरदास में शामिल हों।
कड़ा-प्रसाद लें व एक दूसरे को बधाई दें।
गुरु महाराज के प्रकाश (जन्म) के समय फूलों की बरखा एवं आतिशबाजी करें।

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