महिलाएं समाज का वह हिस्सा रही हैं जिसके बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है लेकिन उसे हमेशा ढककर रखा जाता है। असमानता को लेकर बढ़ते भेदभाव के चलते इस दिवस को मनाने की शुरूआत करना पड़ी। महिलाओं को समानता का दर्जा प्राप्त हो, उन्हें भी हर क्षेत्र में बराबर का हक मिलें। अमेरिका में 26 अगस्त 1920 में 19वें संविधान में संशोधन के बाद पहली बार मत करने का अधिकार मिला था। 26 अगस्त 1971 में वकील बेल्ला अब्जुग के प्रयास से महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने की शुरूआत इस दिन से हुई थी। इस पहले से अमेरिकी महिलाओं को द्वितीय श्रेणी नागरिकों का दर्जा प्राप्त था।
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का खास उद्देश्य है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ाना, उन्हें बढ़ावा देना। वहीं दूसरी ओर बढ़ रहे अत्याचार भेदभाव, कुकर्म, बलात्कार, एसिड अटैक, जैसे कई मुद्दे पर लोगों को जागरूक करना है। वहीं अगर देखा जाएं तो महिलाएं आज इन सभी चीजों से लड़कर लगातार आगे बढ़ रही है।
4-घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है। पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते।