अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का फैसला आने के बाद अदालत के बाहर सुलह समझौते के आसार समाप्त होते दिख रहे हैं और मामले से जुड़े तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम जन्मभूमि न्यास ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के संकेत दिए हैं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के स्वामित्व को लेकर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने के बारे में विचार करने को कल यहाँ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई जिसमें उच्चतम न्यायालय में जाने की सिफारिश की गई।
बोर्ड सूत्रों ने बताया कि इसके बाद 16 अक्टूबर को लखनऊ में बोर्ड की पूर्ण बैठक में शीर्ष अदालत में जाने या नहीं जाने के बारे में कोई अंतिम फैसला किया जाएगा।
उधर बोर्ड के अलावा अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने भी कुछ ऐसे ही संकेत देते हुए कहा है कि वह विवादास्पद स्थल को तीन हिस्से में बाँटने के अदालती फैसले से संतुष्ट नहीं है।
महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने बताया कि निर्मोही अखाड़े की ओर से इस महीने के अंत तक उच्चतम न्यायालय में अपील दायर किये जाने की संभावना है। फिलहाल इस मामले में महासभा कानूनी सलाह ले रही है।
समझौते के प्रयास का स्वागत : भाजपा उपाध्यक्ष विनय कटियार ने अयोध्या मसले पर सुलह-समझौते के प्रयासों का स्वागत किया है। शनिवार रात अचानक फैजाबाद पहुँचे कटियार ने राम जन्मभूमि के पक्षकार निर्मोही अखाड़ा के महंत भास्कर दास के आवास पर पहुँचकर करीब 40 मिनट तक उनसे बातचीत की। उन्होंने कहा कि अयोध्या मसले का अंतिम हल बातचीत से ही संभव है। (भाषा)