उत्तराखंड में चारधाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा शुरू होने के बाद अब सभी मंदिरों में पूजा विधि-विधान से शुरू हो गई है। आज मंगलवार को गंगोत्री में मां गंगा की मूर्ति का महाभिषेक गंगा सप्तमी के अवसर पर किया गया। उधर केदारनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस समेत एसडीआरएफ के जवानों की भी तैनाती कर दी गई है। ये जवान केदानाथ के पैदल रास्तों के खतरनाक क्षेत्रों में यात्रियों की देखरेख का काम करेंगे।
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केदारनाथ धाम में सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए एलआईयू के जवानों की भी तैनाती यहां कर दी गई है। यात्रा में सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन फिलहाल पैदल यात्रा मार्ग पर मात्र सुबह 5 बजे से 12 बजे तक ही श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दे रहा है।
केदारनाथ यात्रा शुरू होने के बावजूद केदारनाथ में यात्रियों के लिए प्रीफेब्रिकेटेड हट्स नहीं बन पाने से इंतजामों की पोल एक बार फिर खुल गई है। हालांकि प्रशासन ने यहां बर्फ के बीच टैंट लगाकर तीर्थयात्रियों के ठहरने का इंतजाम किया है तथापि प्रीफेब्रिकेटेड हट्स में जो सुविधाएं मिलतीं हैं वे तीर्थयात्रियों को नहीं मिल रही हैं। इससे असुविधाओं का एहसास होना लाजमी है।
केदारनाथ यात्रा मार्ग में तबाही के बाद रास्तों के अब तक भी न बन पाने से यात्रियों को तकलीफें उठानी पड़ रही हैं। हालांकि केदारनाथ मार्ग में लिंचौली से तीर्थयात्रियों को निःशुल्क हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराने के दावे हवाई साबित हुए, लेकिन डांडी कांडी और घोड़े खच्चर भी इस क्षेत्र से पर्याप्त मात्रा में न मिलने से यात्री काफी नाराज दिखे।
तीर्थयात्रियों का कहना है कि प्रचार तो यह कि जा रहा था कि लिंचौली से निशुल्क हैलीकाप्टर सेवा होगी साथ ही डांडी कांडी और खच्चर भी उपलब्ध कराए जाएंगे, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। कोलकाता से आए एक बुजुर्ग यात्री ने कहा कि लिंचौली से केदारनाथ पहुंचना अब भी काफी मुश्किल भरा है। यह दूरी जो 19 किलोमीटर है, इसे तय करने के लिए कुछ न कुछ सहारा जरूर उपलब्ध होना चाहिए।
इस अव्यवस्था के चलते गुजरात से भगवान केदार के दर्शनों को आए सत्तर सदस्यीय दल को वापस लौटना पड़ा। यह दल लिंचौली तक पहुंच गया था, लेकिन यहां से 19 किलोमीटर दूरी तय करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए इसे वापस लौटना पड़ा। इन लोगों ने विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में दर्शन कर फिर बद्रीनाथ की ओर जाने का मन बना लिया। दल का नेतृत्व कर रहे राजकोट गुजरात के नंदलाल का कहना था कि रास्ते में अव्यवस्थाओं और आगे दिख रही बर्फ के चलते वे आगे जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
आपदा से तार-तार हो चुकी रास्तों की व्यवस्थाओं को ढर्रे पर लाना अब भी चुनौती बना हुआ है। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारधाम तक पहुंचना तबाही के बाद अत्यंत दुष्कर बना हुआ है। पूर्व में रामबाणा से केदारनाथ के बीच का जो मार्ग था वह पूरी तरह तबाही से ध्वस्त होने से अब 19 किलोमीटर पैदल मार्ग पर कुछ जगह प्रशासन ने यात्रियों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था मुफ्त की है लेकिन पहले यह एक एक किलोमीटर में कुछ न कुछ ढाबे अथवा छोटे व्यवसाई करते थे अब यह सब नहीं है।
नया पैदल मार्ग बेहद थकान भरा एवं निर्माणाधीन है। दो किलोमीटर मार्ग तो बर्फ से भरा हुआ है। ऑक्सीजन की कमी के चलते पहले ही केदारनाथ पैदल मार्ग पर कई बार मौसम की खराबी से यात्री मुसीबत में फंस रहे हैं न तो रास्तों में विश्राम की सुविधा है न ही छाता या रैनकोट उपलब्ध हो पा रहा है। गौरीकुंड लेकर केदारनाथ के मध्य कहीं भी रैनकोट, छाता या जूते चप्पल नहीं मिल पाते।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी राघव लंगर का कहना है कि अब गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारियों से रिफ्रैशमेंट सेंटर्स पर इन चीजों को रखने के लिए कहा जा रहा है। लंगर के अनुसार केदारनाथ जाने वाले यात्रियों का बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन गढ़वाल मंडल विकास निगम के आवास गृह, गुप्तकाशी और सोनप्रयाग में किया जा रहा है। इन पंजीकरण स्थलों पर प्रशासन ने डॉक्टर्स की टीम भी तैनात की है जो यात्रियों का चिकित्सा परीक्षण कर रहे हैं साथ ही उन्हें मौसम के बावत एडवाइजरी भी दी जा रही है।
भगवान केदारनाथ के दर्शन आदि तो दो दिन पूर्व ही शुरू हो चुके हैं, लेकिन आज केदारनाथ में पहले भैरवनाथ की पूजा भैरव शिला पर कर दी गई तत्पश्चात ही केदारनाथ में बाबा केदार की आरती श्रृंगार और भोग लगाने का काम शुरू हो पाता है। यह भैरव की पूजा के बाद आज से ही शुरू हो सका है।
यात्रा शुरू होने के बाद इसका मीडिया द्वारा प्रचार होने के बाद एक बात यह सुकून भरी सामने आ रही है कि देश के तमाम प्रांतों से ऋषिकेश, हरिद्वार, गुप्तकाशी, जानकीचट्टी एवं अन्य स्थानों पर तीर्थयात्री दूरभाष द्वारा यहां आने के लिए व्यवस्थाओं की जानकारी लेने लगे हैं। साथ ही धर्मशालाओं, होटलों और विश्रामगृहों में बुकिंग भी यकायक तेजी से की जाने लगी है। जबकि यात्रा मार्ग खुलने तक इस दिशा में कोई जानकारियां नहीं ले रहा था। इससे अब इस क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि पिछली विनाशलीला के बाद यहां पसरा सन्नाटा शायद टूटने वाला है।