भाजपा में हिंदुत्व को लेकर माथापच्ची

गुरुवार, 20 अगस्त 2009 (15:35 IST)
हिंदुत्व को मुख्य मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करने पर भ्रम की स्थिति का सामना कर रही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गुरुवार को यहाँ ‘चिंतन बैठक’ के दूसरे दिन पार्टी की विचारधारा के महत्व पर चर्चा की।

लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा के लिए आयोजित ‘चिंतन बैठक’ में भाजपा नेतृत्व के बीच इस बात पर माथापच्ची हुई कि चुनावी संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए पार्टी की विचारधारा, खास तौर पर हिंदुत्व के मुद्दे का किस हद तक इस्तेमाल होना चाहिए।

इस मुद्दे पर पार्टी इन दिनों भ्रम की स्थिति में नजर आ रही है। वोट वैंक के विस्तार के लिए पार्टी में कुछ गुट कट्टरपंथ का समर्थन कर रहे थे, जबकि कुछ नरमपंथ और ‘‘समावेशी’’ हिंदुत्व का।

भाजपा के एक धड़े का मानना है कि कट्टरपंथी हिंदुत्व में नरमी आ जाने से पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी को इसकी भारी कीमत चुकाना पड़ी।

उधर, पार्टी का उदारवादी धड़ा इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखता। समावेशी हिन्दुत्व के पैरोकार सहयोगी दलों का विस्तार करते हुए उन मतदाताओं तक पार्टी की पहुँच बनाना चाहते हैं, जो कट्टर हिंदुत्व के कारण भाजपा से अलग हैं।

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक जून में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई थी। इसमें भाजपा ने जोर दिया था कि ‘‘हिंदुवाद अथवा हिंदुत्व की महत्ता को संकीर्ण नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए।

इसमें यह भी कहा गया था कि इसे धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया था कि हिंदुत्व हमारी संस्कृति और सभ्यता के विचारों का बेहतर और समावेशी प्रतिनिधित्व करता है। यह गूढ़ सिद्धांत विकासशील भारत के लिए असली प्रेरणा है और इसके साथ जुड़ कर भाजपा गौरवान्वित होगी।

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित भाजपा का एक वर्ग हाल तक इस बात की वकालत करते आ रहे थे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ संबंध रखने के साथ साथ पार्टी कार्यकर्ता सहिष्णु हिंदुत्व का पालन करें।

मुरली मनोहर जोशी सहित पार्टी का एक अन्य वर्ग ‘मुख्य मुद्दे’ के तौर पर कट्टर हिंदुत्व में नरमी लाने का विरोध करता आ रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने हालिया साक्षात्कार में इस बात पर जोर दिया कि भाजपा को अपनी मुख्य विचारधारा पर कायम रहने की जरूरत है।

भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता जसवंतसिंह की पुस्तक में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा तथा सरदार पटेल की आलोचना करने के लिए बुधवार को उन्हें बिना नोटिस के सीधे निष्कासित कर अपनी विचारधारा के बारे में संदेश दे दिया दिया है।

चिंतन बैठक के कल पहले दिन भाजपा के 25 शीर्ष नेताओं ने चुनाव परिणाम और खराब प्रदर्शन के कारणों पर विचार-विमर्श किया था। इस बैठक में उम्मीदवारों के चयन, प्रचार रणनीति और चुनाव के दौरान उठाए गए मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा हुई।

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