वामदलों ने एटमी करार को खारिज किया

मंगलवार, 7 अगस्त 2007 (23:07 IST)
वामदलों ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को मंगलवार को लगभग खारिज कर दिया और अंतरराष्ट्रीय संधियों के संसद में अनुमोदन की व्यवस्था के लिए संविधान संशोधन की माँग की है।

कांग्रेस नीत संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे चारों वामदलों की मंगलवार शाम यहाँ अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक में यह माँग की गई।

बैठक के बाद माकपा महासचिव प्रकाश करात और भाकपा महासचिव एबी बर्धन ने अन्य वामदलों के शीर्ष नेताओं के साथ एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में सरकार को चेतावनी दी कि वह इस समझौते पर अमेरिका के साथ हाल के सामरिक सहयोग के संदर्भ में 123 समझौते पर संसद में पूरी चर्चा कराए।

करात ने कहा कि समझौते के मूल पाठ को व्यापक संदर्भों में देखा जाना चाहिए क्योंकि अमेरिका का हाइड कानून उसके लिए सर्वोपरि है और कोई भी अंतरराष्ट्रीय संधि इस कानून की काली छाया से मुक्त नहीं हो सकती।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 123 समझौते की दिशा में सरकार को आगे से बढ़ने से रोकने के लिए फिलहाल कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है, लेकिन सरकार को वामपंथी दलों और संप्रग के बाहर के अन्य दलों की भी राय का सम्मान करना चाहिए। इसके लिए संसद में व्यापक चर्चा जरूरी है।

करात ने माना कि गत वर्ष 17 अगस्त को प्रधानमंत्री ने भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु सहयोग के संबंध में संसद को जो आश्वासन दिए थे, समझौते पर चर्चा के दौरान भारतीय पक्ष ने उन आश्वासनों को अमल में उतारने की पूरी कोशिश की, लेकिन समझौते का मूल पाठ इस चालाकी से तैयार किया गया है कि इसमें पूर्ण असैनिक परमाणु सहयोग का आश्वासन पूरा नहीं होता। अमेरिका से परमाणु प्रौद्योगिकी प्राप्त करना भी अब संदेहास्पद है और भारत के परमाणु रिएक्टरों को ईंधन की सतत आपूर्ति भी संदिग्ध हो गई है।

संसद में वक्तव्य : संसदीय कार्य मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने आज कहा कि सरकार परमाणु समझौते पर संसद में अपनी और से जल्दी ही वक्तव्य दे सकती है, लेकिन इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा विदेशमंत्री प्रणव मुखर्जी के विदेश यात्रा से लौटने पर 20 अगस्त के बाद ही हो सकती है। मुखर्जी 17 अगस्त को स्वदेश लौटेंगे।

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