30 मीटर के इस दूरबीन को खगोलीय अनुसंधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस परियोजना में भारत, अमेरिका, कनाडा, जापान और चीन साझेदार हैं। पहले इसे अमेरिका के हवाई प्रांत में लगाया जाना था, लेकिन वैधानिक अड़चनों के कारण वहां इसे लगाने का काम अक्टूबर 2014 में रोक देना पड़ा। बाद में हवाई के उच्चतम न्यायालय ने इसके निर्माण के जारी मंजूरी को अवैध करार दे दिया।
अमेरिका, चीन, जापान और कनाडा भी इस परियोजना में साझेदार हैं और इस विषय पर काफी गहन विचार-विमर्श किया जा रहा है। जब तक कोई औपचारिक फैसला नहीं हो जाता, तब तक इस पर कोई टिप्पणी करना संभव नहीं होगा। कुछ तकनीकी मुद्दे हैं, कुछ मानदंड हैं जिनके आधार पर (जगह) तय किया जाना है।